नमस्ते कोरबा :- कोरबा की तीन बहनों ने वो किया है जिसे समाज शायद अच्छा ना मानें. लेकिन एक पिता की इच्छा को पूरी करने के लिए इन बेटियों ने रूढ़ीवादी परंपरा को तोड़कर अपने पिता का अंतिम संस्कार किया. मुक्तिधाम पहुंचकर इन बेटियों ने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी,
सामाजिक बंधनों और परंपराओं को दरकिनार करते हुए जैसे ही बेटी ने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी वहां मौजूद सबकी आंखों में आसूओं का समंदर उमड़ पड़ा,
मृतक जितेंद्र का अंतिम संस्कार शहर के मोतीसागर पारा मुक्तिधाम में किया गया. सीतामढ़ी से जब शव यात्रा निकली. तब सभी राहगीरों के लिए यह कुछ नया सा था. ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है जब बेटियां पिता के अर्थी को कंधा दें. शव यात्रा मुक्तिधाम तक पहुंची और इसके बाद विधि-विधान से बेटियों ने पिता के क्रिया कर्म को पूरा किया.







