कोरबा के जंगल में मोर नाचा किसने देखा,आपने नहीं देखा तो जरूर देखें यह वीडियो
नमस्ते कोरबा :- कहते हैं ‘जंगल में मोर नाचा किसने देखा.’ इस कहावत से ही ज़ाहिर है कि मोर का नृत्य देख पाना कितना दुर्लभ है। अक्सर बारिश के मौसम में मोर खुशी से नाच उठता है। ऐसा ही पल कोरबा में भी दिखाई दिया। खास बात यह है कि इस बार बस्ती में मोर नाचा और सबने देखा। दरअसल, लेमरू वन परिक्षेत्र में वन विभाग के दफ्तर के सामने नृत्यकर मोर ने अपनी छठा बिखेरी।
यहां एक मोर बेफिक्री से घूमता है, मानो पूरा गांव ही उसका घर हो. यह कोई आम मोर नहीं है, बल्कि गांव वालों का लाडला है और वन विभाग के रेंज कार्यालय में उसका स्थायी ठिकाना है. हर सुबह, सूरज की पहली किरण के साथ ही यह खूबसूरत मोर अपने घर, रेंज ऑफिस से निकल पड़ता है और गांव की सैर पर जाता है. उसकी चाल में एक अलग ही आत्मविश्वास और बेफिक्री होती है. गांव के चौक-चौराहों पर वह कुछ देर रूकता है, मानो सबका हाल-चाल ले रहा हो.
ग्रामीण इस मोर का बहुत ध्यान रखते हैं. वे उसे दाना डालते हैं और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं. मोर भी ग्रामीणों के स्नेह को समझता है और उनके आस-पास सहज महसूस करता है. गांव के बच्चे और बड़े सभी उसे प्यार से देखते हैं और उससे बात करते हैं. दिनभर गांव में घूमने के बाद, शाम ढलते ही मोर वापस रेंज कार्यालय लौट जाता है.
यह उसका घर है, जहां वह सुरक्षित महसूस करता है. रात को वह आराम करता है और अगली सुबह फिर से गांव की सैर पर निकलने के लिए तैयार हो जाता है. इस मोर की एक और खास बात यह है कि बाहरी लोगों को पसंद नहीं करता. अगर कोई अनजान व्यक्ति गांव में आता है, तो यह उसे देखते ही अपनी पंख फैलाकर खदेड़ने की कोशिश करता है. ऐसा लगता है, जैसे वह गांव की सुरक्षा कर रहा हो और अपरिचितों से अपने लोगों को बचा रहा हो.
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