विद्यार्थियों को रोजाना नाला पार करने के दौरान जोखिम मोल लेने की स्थिति पर सिस्टम हरकत में आया, जल्द बनेगा बारहमासी नाला पर पूल
नमस्ते कोरबा : सिंदुरगढ़ क्षेत्र में एक प्राथमिक विद्यालय जाने के लिए विद्यार्थियों को रोजाना नाला पार करने के दौरान जोखिम मोल लेने की स्थिति पर सिस्टम हरकत में आ गया है। स्थानीय मीडिया ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया जिसकी जानकारी होने पर अब यहां पुल का निर्माण स्वीकृत किया जा रहा है। जल्द ही यहां पर इसका निर्माण कराया जाएगा।
बता दे की कोरबा जिले के पोंड़ी उपरोड़ा विकासखंड सिंदूरगढ़ क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय में पढने वाले बच्चों को अपने गांव से स्कूल पहुंचने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अपने घर से स्कूल पहुंचने के दौरान बीच रास्ते में एक बारहमासी नाला मौजूद है जो बारिश में काफी खतरनाक हो जाता है। ऐसे में विद्यार्थियों को एक छोर से दूसरे छोर जाने के लिए काफी जोखिम उठानी पड़ती है।
(मीडिया में खबर चलने के पश्चात मामला आया सज्ञान में)
यहां पर वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए लकड़ी के पटरी रखे जाते हैं और फिर गांव की मितानिन बच्चों को नाला पार कराती है। यह उसकी दैनिक जिम्मेदारी बनी हुई है इन विद्यार्थियों के प्रति। उसका सोचा यही है कि सभी बच्चे गांव के हैं और जो शिक्षा प्राप्त करने के लिए काफी गंभीर हैं इसलिए वह अपनी भूमिका को सुनिश्चित करने में लगी है।ऐसा इसलिए भी किया जाता है ताकि यहां से पार होने के दौरान विद्यार्थियों के सामने कोई संकट खड़ा ना होने पाए।
मीडिया में यह रिपोर्ट सामने आने पर जिला प्रशासन ने ध्यान दिया है। कोरबा के कलेक्टर अजीत वसंत ने बताया कि मामला हमारे संज्ञान में आया है। इस पर ध्यान देने की बात कही जा रही है कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत ने बताया कि सिंदूरगढ़ के छात्रों से जुड़ी हुई समस्या को देखते हुए संबंधित नाला पर पुल का निर्माण कराया जाना स्वीकृत किया जा रहा है। जल्द ही इस दिशा में औपचारिकता है पूरी की जाएगी और फिर क्रियान्वयन प्रारंभ किया जाएगा।
यहां बताना आवश्यक होगा कि कोरबा जिला अनुसूचित जनजाति बाहुल्य है जहां पर कई इलाके ऐसे भी हैं जो सुविधाओं के मामले में अभी भी पिछड़ेपन का शिकार है। सडक और संचार संपर्क के अलावा कई स्थान पर बिजली की पहुंच नहीं होने से शिक्षकों के साथ-साथ विद्यार्थियों को परेशान होना पड़ रहा है।
आपात स्थिति में ना तो अधिकारी पहुंच पाते हैं और ना ही मेडिकल टीम। इसके कारण विचित्र हालात उत्पन्न हो जाते हैं और फिर कुल मिलाकर व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं। इसलिए जरूरत इस बात की है कि ऐसे सभी क्षेत्रों को चिन्हित करने के साथ वहां पर उन सुविधाओं को उपलब्ध कराया जाए जिनकी आवश्यकता महसूस की जा रही है।