यहां होली खेलना है मना,गांव वालों का मानना है की होली खेलने से आएगी गांव में भारी विपत्ति मामला कोरबा जिले के ग्राम खरहरी का
नमस्ते कोरबा :- आप सभी होली का इंतजार जरूर कर रहे हैं और व्हाट्सएप फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर होली के अपने पुराने रंग बिरंगे चेहरे को पोस्ट कर रहे होंगे. आप आपने दोस्त को होली की अग्रिम बधाई भी दे रहे होंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक ऐसे गांव हैं जहां 150 सालो से गांव के लोगो ने होली नही खेली.
इस गांव के लोगों का मानना है कि होली के दिन रंग गुलाल लगाने से देवी माता नाराज हो जाएंगी, और उसका परिणाम पूरे गांव वालों को भुगतना पड़ेगा. होली का अपना एक अलग ही आनंद और उल्लास है. पूरी दुनिया में हिंदू धर्म के मानने वाले होली का त्योहार मानते हैं. इस रंगों के त्योहार मे सब एक रंग में रंग एक हो जाते हैं. इस वर्ष होली 8 मार्च बुधवार को पड़ रहा है. रंगों के इस त्यौहार में रंगने का इंतजार सबको है.लेकिन छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक ऐसा गांव है जहा होली का त्यौहार नही मनाते है.गांव में होली के दिन होलिका दहन नहीं होती और ना ही रंग गुलाल उड़ाते हैं.
कोरबा जिला मुख्यालय लगभग 35 किलोमीटर की दूरी स्थित है ग्राम खरहरी. इस गांव में पिछले 150 सालों से होली का त्यौहार नहीं मनाया गया है.गांव के बुजुर्गों का मानना है कि उनके जन्म के काफी समय पहले से ही इस गांव में होली ना मनाने का रिवाज है.होली के दिनों में कभी रंग गुलाल नही उड़ाते,और न ही होलिका दहन की जाती है. इस गांव में 650 से 700 लोग रहते हैं. गांव के बुजुर्गों के अनुसार यहां सालों पहले होलिका दहन के दिन भीषण आग लग गई थी,गांव के घरों के ऊपर बड़े-बड़े आग के गोले गिर रहे थे. गांव के हालात बेकाबू हो गए थे. गांव महामारी फैल गई थी. इस दौरान गांव के लोगों का भारी नुकसान हुआ और हर तरफ अशांति फैल गई. इसके बाद गांव के एक बैगा के सपने में देवी मां मड़वारानी ने इस विनाश से बचने का उपाय बताया, कि गांव में होली का त्यौहार न मनाया जाए तभी से इस गांव में होली का त्यौहार नहीं मनाया जाता.
ग्रामीणों ने बताया कि ना तो गांव में होलिका दहन होता है और ना ही रंग गुलाल खेले जाते है. गांव में किसी को नहीं मालूम कि आखरी बार कब होली मनाई गई थी. होली खेलने से कब गांव में आग लगी किसकी मौत हुई ग्रामीणों को नही पता. होली नही मनाने का रिवाज पूर्वजो से सुनते आ रहे हैं इसलिए पिछले 150 साल से गांव में किसी ने होली मनाई. गांव के बुजुर्जो का मानना है कि नियम तोड़कर रंग गुलाल खेलने वालों पर माता का कहर टूट पड़ता है और बीमार हो जाते हैं. बड़ों से लेकर छोटे तक हर कोई इस नियम का पालन करता है.