*कोरबा पुलिस की सफलता में चश्मदीद बना एक पुराना पेड़,जिसके पास जमीन के नीचे मिली सलमा,पर बोरी में बंद कंकाल बनकर*
नमस्ते कोरबा :- करीब पांच साल पहले यूं अचानक गायब हो गई न्यूज एंकर सलमा सुल्ताना की मौत का रहस्य अब पूरी तरह से बेपरदा हो चुका है। पिता की मृत्यु के साथ शुरू हुई उसकी तलाश पूरी हो गई। वह मिली तो जरूर पर एक बोरी में बंदी-गुथी एक कंकाल बनकर। गुमनाम इंसान से एक मर्डर मिस्ट्री में तब्दील सलमा के कत्ल की कहानी को अंजाम तक पहुंचाने, आपरेशन मुस्कान की बड़ी अहम भूमिका रही, जिसके जरिए कोरबा जिला पुलिस ने बड़ी कामयाबी पाई है।
एसपी उदय किरण की गाइडलाइन में केस खत्म करने में प्रशिक्षु आईपीएस व दर्री सीएसपी रॉबिन्सन गुरिया ने अपनी कुशल टीम के साथ कारगर पुलिसिंग का उदाहरण पेश किया। उन्होंने बताया कि इस मामले में हमारी पुलिस ने गहन साइंटिफिक इंवेस्टिगेशन,फॉरेंसिक विज्ञान व जीपीआर जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का बखूबी इस्तेमाल किया। इतना ही नहीं, अनेक विभागों से समन्वय स्थापित कर इस मर्डर मिस्ट्री की तह तक पहुंचे। हत्या के आरोपियों तक पहुंचने के बाद सलमा की लाश या यूं कहें कि उसके कंकाल को ढूंढना एक बड़ा चैलेंज था, पर पुलिस की सख्ती से आरोपी टूट गए। उन्होंने बताया कि किस तरह गला घोंटकर पहले सलमा की जान ली गई, और उसके बाद उसकी लाश को रात के अंधेरे में बोरी में बंदकर इस सड़क के किनारे दफना दिया गया।
वह जगह कहां थी, इसे लेकर पुख्ता रूप से पता नहीं चल पा रहा था। फिर एक और बात आई, जिसमें लाश दफन होने की जगह पर एक महत्वपूर्ण निशान के रूप में एक पेड़ का जिक्र किया गया। आरोपियों की गिरफ्तारी और न्यायालय की अनुमति के बाद एक बार फिर पुलिस जुट गई, और इस बार उस पेड़ की तलाश शुरू की गई, जिसके मिलते ही सलमा की कब्र भी मिल जाना सुनिश्चित था। फॉरेस्ट विभाग के एक पुराने गार्ड की भी मदद ली गई, जिसने सड़क निर्माण में उखड़ चुके इस पेड़ की पहचान कराई, और उसके बाद जीपीआर तकनीक से 30 मीटर के दायरे को स्कैन किया गया। इस बार वह मिल गया, जिसकी तलाश पिछले पांच महीनों से दिन-रात की जा रही थी। इस बार जब एक्सिवेटर (Ecsiveter ) का पंजा चला तो वह बोरी बाहर आई, जिसमें बंद सलमा का पिछले पांच साल से खामोश पड़ा कंकाल अपने कत्ल की दास्तान चींख-चींख कर बयां कर रहा था। सीएसपी गुरिया ने बताया कि वर्ष 2018 में गुम इंसान के रूप में दर्ज किया गया एक साधारण सा केस जब जघन्य हत्या के मामले में तब्दील हुआ, तो हमने नए सिरे से तहकीकात शुरू की और इसमें 4 से 5 माह लगे, पर कामयाबी मिल ही गई।
पिछले हफ्ते जब एक पेड़ की निशानी का पता चला, तो पुराने लोगों से जानकारी जुटाई गई यह पता चला कि वहां एकलौता पेड़ था, जिसकी पहचान करते ही उस जगह का पता चल गया। इस आपरेशन में नगर निगम, पीडब्ल्यूडी व फॉरेस्ट समेत अनेक विभागों की मदद शामिल रही।
प्रशिक्षु आईपीएस व दर्री नगर पुलिस अधीक्षक रॉबिन्सन गुरिया ने बताया कि बरामद की गई डेडबॉडी कंपोस्ड है, जिसे एक बोरी में बांधा गया था। पुराने फॉरेस्ट गार्ड ने उस पेड़ को ढूंढने में मदद की, जहां यह कंकाल निकला। सबसे पहले कंकाल का पोस्ट मार्टम किया जाएगा। परिजनों को कपड़े दिखाकर शिनाख्त का प्रयास किया जाएगा, और आगे अगर जरूरत दिखी तो डीएनए टेस्ट भी किया जाएगा।