वकील ने सिटी मजिस्ट्रेट के बाबू के खिलाफ खोला मोर्चा,बाबू द्वारा वकील के पक्षकारों को बिना सुनवाई भेज दिया गया जेल
नमस्ते कोरबा – कोरबा में सीटी मजिस्ट्रेट के एक बाबू का गजब का कारनामा सामने आया है। शांति भंग करने वाले आरोपियों को बगैर सुनवाई किए ही जेल भेज दिया गया है। इतना ही नहीं मजिस्ट्रेट की अनुपस्थिति में तहसीलदार से ऑडरसीट के कोरे पन्ने पर हस्ताक्षर ले लिया गया। संबंधित अधिवक्ता ने इस रवैए पर आपत्ति जताते हुए मामले की शिकायत हाईकोर्ट में करने की बात है।बिना किसी सुनवाई के धारा 151 के मामले में सीटी मजिस्ट्रेट के बाबू के द्वारा आरोपी गणों को जेल भेजवा दिया गया।
संबंधित मामले में पीड़ितों के वकील अब्दुल नफीस खान ने बताया कि वकील का मेमो, जमानत का आवेदन प्रकरण में लगे होने के बाद भी वकील को सुना ही नही गया है। अधिवक्ता का यह अधिकार है की जिस प्रकरण में उसका मेमो लगा है न्यायालय उसका पक्ष सुनने के बाद अग्रिम कार्यवाही करे।
लेकिन सिटी मजिस्ट्रेट कोरबा के न्यायालय के इस प्रकरण में आरोपी की तरफ से अधिवक्ता का मेमो (उपस्थिति-ज्ञापन) सहित जमानत का आवेदन प्रस्तुत किए जाने के बाद भी वकील को सुनवाई का अवसर दिए बिना न्यायालय के बाबू के द्वारा तहसीलदार कोरबा के कार्यालय जाकर जेल वारंट में हस्ताक्षर करवा कर आरोपीगणो को जेल भिजवा दिया गया।
नियम के तहत धारा 151 यानी शांति भंग करने के आरोपी को सीटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है। मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में सुनवाई होती है। मगर कोरबा में ऐसा नहीं हुआ। अधिवक्ता का आरोप है कि इस मामले उनके पक्षकारों की सुनवाई नहीं की गई। बाबू ने मनमानी करते हुए तहसीलदार से कोरे पन्ने पर हस्ताक्षर ले लिया। जो नियम के विरुद्ध है।
मामला सिविल लाइन थाना इलाके के खपरभट्टा मोहल्ले का है। बीते दिनों दो पक्षों में जमकर मारपीट हुई। मामला थाने तक जा पहुंचा। पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करते हुए प्रकरण को सीटी मजिस्ट्रेट के पास भेज दिया। अधिवक्ता ने बाबू पर नियम के विरुद्ध काम करने का आरोप लगाया है। वही इस मामले में कोर्ट के बाबू के अपनी अलग दलील दी।