Friday, December 26, 2025

“बुलडोज़र के साये में घर, और आंखों में ‘जयसिंह भैया’ का दौर”,जब पट्टा था ढाल, बुलडोज़र नहीं

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“बुलडोज़र के साये में घर, और आंखों में ‘जयसिंह भैया’ का दौर”,जब पट्टा था ढाल, बुलडोज़र नहीं

नमस्ते कोरबा : कोरबा के इंदिरा नगर में इन दिनों सिर्फ रेलवे की प्रस्तावित तोड़फोड़ को लेकर बेचैनी नहीं है, बल्कि एक गहरी राजनीतिक तुलना भी ज़ोर पकड़ रही है। गलियों में चर्चा है घरों में चिंता है और आंखों में वह दौर तैर रहा है, जब गरीबों का आशियाना असुरक्षा का प्रतीक नहीं, बल्कि सरकारी संरक्षण का उदाहरण हुआ करता था। आज बार-बार एक ही बात सुनाई देती है  “जय सिंह भैया होते तो हालात ऐसे नहीं होते।”यह कोई भावनात्मक अतिशयोक्ति नहीं बल्कि उस भरोसे की राजनीति की स्मृति है, जिसकी बुनियाद संवाद, संवेदनशीलता और जवाबदेही पर टिकी थी।

पूर्व विधायक एवं छत्तीसगढ़ शासन में राजस्व मंत्री रहे जय सिंह अग्रवाल के कार्यकाल में गरीब बस्तियों को अवैध मानकर उजाड़ने की सोच नहीं थी। तब शासन ने माना कि वर्षों से बसे लोगों का घर अतिक्रमण नहीं, जीवन है। इसी सोच के तहत इंदिरा नगर जैसे इलाकों में सरकार की ओर से पट्टे प्रदान किए गए। यह पट्टा सिर्फ ज़मीन का दस्तावेज़ नहीं था, बल्कि एक स्पष्ट संदेश था सरकार गरीब के साथ खड़ी है।

वर्तमान में  railway की ओर से तोड़फोड़ का नोटिस जारी हो चुका है, लेकिन सबसे बुनियादी सवालों के जवाब नदारद हैं,तोड़फोड़ के बाद वहां बनेगा क्या? विस्थापित परिवारों को कहां बसाया जाएगा? मुआवज़ा और पुनर्वास का रोडमैप क्या है? सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि वर्तमान मंत्री और महापौर खुद यह स्वीकार कर रहे हैं कि रेलवे से उन्हें अब तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिली है।

यानी एक तरफ बुलडोज़र की तैयारी, दूसरी तरफ जनप्रतिनिधियों की अनभिज्ञता और बीच में गरीबों के टूटते सपने।इंदिरा नगर में कई परिवार आज मजबूरी में घर का सामान समेट रहे हैं। आंखों में डर है, लेकिन उससे बड़ा सवाल है, क्या गरीब को बिना बताए, बिना बसाए उजाड़ दिया जाएगा?

लोगों को लग रहा है कि अगर रेलवे की ओर से कार्रवाई हुई तो नुकसान होना बिल्कुल तय है। दूसरी स्थिति में अनुकूलता हो सकती है लेकिन यह भी एक दुविधा है,इसलिए दोराहे पर अटके कुछ लोगों ने अभी से अपने सामानों को दूसरी जगह शिफ्ट करने पर ध्यान दिया है। इंदिरा नगर इलाके से कुछ लोगों को दूसरी जगह सामान ले जाते हुए आज देखा गया। खबर है कि लोगों की मजबूरी को देखते हुए किराए पर मकान उपलब्ध कराने वालों ने एकाएक दरों को बढ़ा दिया है।

रेल पथ अभियंता कार्यालय कोरबा द्वारा 17 दिसम्बर को रिमाइंडर स्टेटमेंट जारी करने के बाद वह अपनी अगली कार्रवाई को लेकर अडिग बना हुआ है। बताया जा रहा है कि तीसरी रेल लाइन के लिए इंदिरा नगर में अपनी अर्जित जमीन के आसपास रेलवे की ओर से यार्ड बनाना शुरू किया गया है। मौके पर की जाने वाली कार्रवाई के लिए प्रयुक्त होने वाले सामान को यहां पर रखा जाना है। यह सब देखते हुए भी आसपास के क्षेत्र में दहशत बनी हुई है। इस लाइन की जद में आने वालों को नोटिस देकर हटाने की कार्रवाई जल्द शुरू की जाएगी।

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