कोरबा के मानस नगर से प्रशासनिक सेवा तक: संघर्ष, साहस और सपनों की अविजेय कहानी
नमस्ते कोरबा :- ऊर्जाधानी कोरबा की स्लम बस्ती मानस नगर की संकरी गलियों में आज एक असाधारण खुशी का उजाला फैला है। यह सिर्फ एक युवक की सफलता का जश्न नहीं, बल्कि उस मां के त्याग, उस परिवार के आँसुओं और उन संघर्षों की जीत है, जिन्होंने हर तूफान का सामना करते हुए उम्मीद का दीप जलाए रखा।
इस दीप का नाम है राज पटेल जिसने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की कठिन परीक्षा में 22वीं रैंक हासिल करके इतिहास रच दिया। राज का सफर किसी कहानी से कम नहीं एक ऐसी कहानी जिसे पढ़कर आंखें नम हो जाती हैं, लेकिन दिल गर्व से भर उठता है।
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जब पिता की असमय मृत्यु ने परिवार की रीढ़ तोड़ दी, तब घर में एक लंबी सन्नाटा पसरा था। पर उस सन्नाटे के बीच उनकी मां शकुंतला पटेल ने टूटना नहीं चुना। सुबह की पहली किरण से लेकर शाम ढलने तक दूसरों के घरों में झाड़ू, पोछा, बर्तन जो भी काम मिला किया। हाथ भले ही थक जाते थे, पर दिल में सिर्फ एक सपना था “मेरा बेटा पढ़ेगा… आगे बढ़ेगा।”
गरीबी के अंधेरों में भी यह सपना उनका एकमात्र उजाला था। राज पटेल ने उस उजाले को न सिर्फ थामा बल्कि उसे और प्रज्वलित किया। सरस्वती शिशु मंदिर की शुरुआती पढ़ाई से लेकर पीजी कॉलेज तक और फिर दिल्ली के कठिन संघर्षों तक हर कदम पर उन्होंने यह साबित किया कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठोर हों इरादे उससे भी ज्यादा मजबूत होने चाहिए।
दिल्ली में रहकर की गई तैयारी ने पहले उन्हें UPSC के जरिए जिला यूथ ऑफिसर बनाया, और अब CGPSC में 22वीं रैंक ने उनके लिए डिप्टी कलेक्टर या डीएसपी जैसी प्रतिष्ठित सेवाओं के द्वार खोल दिए हैं। उनकी सफलता में अद्वैत फाउंडेशन की भूमिका भी प्रेरणादायक है जिसने आर्थिक तंगी के बीच राज को सहारा दिया और पढ़ाई के लिए दिल्ली तक पहुंचाया।
आज राज कहते हैं “पहले अपनी रुचि को पहचानिए। अगर दिशा सही हो तो मेहनत कभी बेकार नहीं जाती।” उनकी ये बात सिर्फ एक सलाह नहीं, बल्कि संघर्ष से निकला सत्य है।
इस सफलता ने न सिर्फ उनके परिवार को खुशियों से भर दिया है, बल्कि यह संदेश दे दिया है कि बड़ा बनने के लिए बड़ा घर नहीं बड़ा हौसला चाहिए। आज उनकी मां की आंखों में खुशी के आँसू हैं वे आंसू जो उस दर्द उस परिश्रम और उस उम्मीद की कहानी कहते हैं, जो सालों से भीतर दबा था।
राज पटेल की कहानी यह प्रमाण है कि सपने मिट्टी से नहीं, इंसान के साहस से जन्म लेते हैं। और जब मां अपने बच्चे के भविष्य के लिए जूझ जाए, तो कोई गरीबी, कोई अभाव, कोई कठिनाई उस सपने को रोक नहीं सकती।
आज कोरबा का यह बेटा सिर्फ अफसर नहीं बना वह हजारों युवाओं के लिए नई रोशनी, नई उम्मीद और नई प्रेरणा बनकर उभरा है। उसका सफर बताता है अगर दिल में भरोसा और माथे पर पसीना है, तो किस्मत का दरवाजा जरूर खुलता है।
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