Thursday, December 12, 2024

महिला स्वस्थकर्मी ने निजी वाहन की बैटरी से कमरे में जलाया बल्ब और मोबइल टॉर्च की रोशनी से कराया महिला का सुरक्षित प्रसव 

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महिला स्वस्थकर्मी ने निजी वाहन की बैटरी से कमरे में जलाया बल्ब और मोबइल टॉर्च की रोशनी से कराया महिला का सुरक्षित प्रसव

नमस्ते कोरबा :- अंधेरे में प्रसव कराने की मजबूरी और लाचारी का यह मामला जिला मुख्यालय और खंड मुख्यालय कोरबा के दूरस्थ ग्राम पंचायत नकिया का है। उप स्वास्थ्य केंद्र नकिया से 6 किलोमीटर दूर पहाड़ी कोरवा बसाहट ख़महूँन स्थित है। बीती रात घने जंगल से शनियारी बाई पति नवल साय पहाड़ी कोरवा तीव्र प्रसव पीड़ा के साथ अपने निजी साधन से अस्पताल आए।

जब वह आई तो प्रसव पीड़ा बहुत तेज थी। जाँच करने पर स्पष्ट हो गया कि प्रसव की घड़ी भी आ चुकी है। ऐसे में स्वास्थ्यकर्मियों ने केस किसी दूसरे केंद्र में भेजने का रिस्क उठाना उचित नहीं समझा। इससे समय बर्बाद होने से जच्चा और बच्चा दोनों की जिंदगी को खतरा हो सकता था।

निजी वाहन की बैटरी से जलाया बल्ब,और मोबाइल टॉर्च की रोशनी से कराया सुरक्षित प्रसव 

ऐसे में विषम परिस्थिति होते हुए भी यहां ड्यूटी पर मौजूद महिला स्वस्थकर्मी ने बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में अपने निजी वाहन की बैटरी निकाली और जैसे तैसे बिजली की जुगत की। बैटरी से कमरे में बल्ब और अपने मोबइल टॉर्च की रोशनी से किसी तरह सुरक्षित प्रसव सम्पादित कराया।

नकिया उप स्वास्थ्य केंद्र में शासन-प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग द्वारा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र को स्वास्थ्यगत समस्याओं से उबारने और छोटी मोटी बीमारियों को समय पर नजदीक के उपस्वास्थ्य केंद्र की सुविधा दी है। उन्हें त्वरित उपचार मिल सके, इसी ध्येय से भवन दिया और स्वास्थ्यकर्मी भी नियुक्त किए हैं जो विभागीय जिम्मेदारियों का निर्वहन भलीभांति कर रहे हैं।

उपस्वास्थ्य केंद्र में मूलभूत संसाधनों का अभाव

लेकिन विडंबना यह है कि आज तक इस उपस्वास्थ्य केंद्र में मूलभूत संसाधनों का अभाव है। अस्पताल आज भी बिना सुरक्षा बाउंड्री के पड़ा है। पानी और बिजली जैसी मुख्य सुविधा से अछूता है। गांव में आज भी न तो CSEB की परम्परागत बिजली और न ही सौर ऊर्जा की जुगत ही उपलब्ध कराई जा सकी है। ऐसे में यहां रहने वाला चिकित्सकीय स्टॉफ ही नहीं आम ग्रामीण भी कठिनाइयों में जी रहे हैं। दिन के समय सूरज की रोशनी में अपना दैनिक कार्य तो सम्पादित कर लेते हैं।

पर दिन डूबते ही रात के अंधेरे में कई प्रकार की समस्याओं से जूझना तो जैसे इनकी किस्मत बन गई है। स्वास्थ्य केंद्र के लिए स्थिति तब और भी कठिन हो जाती है जब रात के अंधेरे में कोई प्रसव केस आ जाए या चोटिल मरीज अस्पताल पहुंचता है। ऐसी परिस्थितियों से यहां निवासरत स्टॉफ को आए दिन सामना करना पड़ता है।

क्षेत्र के लोगों का कहना है कि जिम्मेदार अधिकारियों को इस पर मानवीय संवेदना के साथ ध्यान देने की आवश्यकता है

क्षेत्र के लोगों का कहना है कि जिम्मेदार अधिकारियों को इस पर मानवीय संवेदना के साथ ध्यान देने की आवश्यकता है। जिससे भविष्य की आपात स्थिति में किसी अनचाही अनहोनी घटना से बचा जा सके। पहाड़ी कोरवा आदिवादियों को राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाते हैं और छत्तीसगढ़ शासन के अति संरक्षित जनजाति में आते हैं।

देश के प्रधानमंत्री भी उनके विकास और उत्थान के लिए अति गंभीर हैं। ऐसे में रात के अंधेरे में वैकल्पिक बिजली व्यवस्था कर प्रसव कराए जाने की विवशता अति गंभीर है और इस दिशा में सोचने की आवश्यकता है। इसी प्रकार पानी और अन्य कमियों को दूर कर जरूरतों को पूरा करना अपेक्षित है। तभी सही मायनो में राज्य में सुशासन की सरकार का वास्तविक अर्थ चरितार्थ होगा।

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प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में पत्रकारों से हुए रूबरू,नगर पालिका निगम कोरबा के आयुक्त आशुतोष पांडे

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