कोरबा बना हादसों का शहर,1340 दिन में 1593 सड़क दुर्घटनाएं जिसमें 790 लोगों की मौत,2024 में 8 महीने के भीतर ही 247लोग मारे गए
नमस्ते कोरबा : कोरबा में सड़क हादसों में होने वाले मौत का आंकड़ा डराने वाला है। औसतन हर दसवें दिन एक की मौत हो रही है। यही वजह है कि मृत्युदर कम करने के लिए कोरबा पुलिस नया प्रयोग कर रही है। जिले के डेंजर सड़को पर मार्ग मित्रो की नियुक्ति की जा रही है,जो बिना किसी भय के सड़क दुर्घटना की सूचना पुलिस को देने के साथ ही घायलों को अस्पताल पहुंचाने का प्रयास करेंगे, ताकि उनकी जान बचाई जा सके।
औद्योगिक नगरी कोरबा को हादसों का शहर कहना गलत नही होगा
औद्योगिक नगरी कोरबा को हादसों का शहर कहना गलत नही होगा। क्योंकि ऐसा कोई दिन नही जब जिले में सड़क दुर्घटना की खबर न आए। खासकर कटघोरा–बिलासपुर, कटघोरा–अंबिकापुर नेशनल हाइवे और कोरबा–चांपा मार्ग पर कई ब्लैक स्पॉट है,जहां आए दिन हादसे होते है। जिले में 1340 दिनों में 1593 सड़क दुर्घटनाएं हुई , जिसमे 790 लोगो की मौत हो चुकी है।
बढ़ते मृत्युदर पर अंकुश लगाने के लिए अब मार्ग मित्र की मदद ली जा रही है। इसमें 26 समितियौ में कुल 107 मार्ग मित्र बनाए जा चुके है। पान दुकान,होटल संचालक समेत सड़क किनारे रहने वाले लोग शामिल है। जो हर वक्त चौकन्ने रहते है।
पिछले चार सालों में मृत्युदर में लगातार इजाफा
पिछले चार सालों की बात करे तो मृत्युदर में लगातार इजाफा हो रहा है। साल 2021 में सड़क हादसे के शिकार 136 लोगो की मौत हुई थी। साल 2022 में मौत का आकड़ा बढ़कर 193 तक पहुंच गया। साल 2023 में 214 लोगो की जान गई और 2024 में 8 महीने के भीतर ही 247 लोग मारे गए है।
एक साल में ही मौत का प्रतिशत 15 % बढ़ गया है। ऐसे में पुलिस की चिंता बढ़ना लाजमी है। हालाकि मार्ग मित्र योजना की शुरुआत के बाद अब तक कोई अप्रिय घटना सामने नही आई है। वही आम लोग भी पुलिस से सीधे जुड़ने लगे है। दावा है कि ये नई पहल कारगर साबित होगी।
सड़क दुर्घटना रोकने के लिए पुलिस लगातार प्रयास कर रही है
सड़क दुर्घटना रोकने के लिए पुलिस लगातार प्रयास कर रही है। लोगो को जागरूक करने के साथ ही कार्रवाई भी की जाती रही है,मगर आम लोगो में अब भी जागरूकता की कमी देखी जाती है। हेलमेट और सीटबेल्ट लगाने में लोग कोताही बरतते है। नशे में वाहन चलाना भी हादसे की बड़ी वजह है।
हालाकि अब कोरबा पुलिस नए सिरे से योजनाबद्ध तरीके से प्रयोग कर रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि मृत्युदर कम करने में मार्गमित्र अपनी महती भूमिका अदा करेंगे।
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