कोरबा का गड्ढा तानाखार ने पाटा,मरवाही-रामपुर ने भी साथ दिया,नेता प्रतिपक्ष वन मैन शो की तरह उभरे
नमस्ते कोरबा। लोकसभा 2024 के इस चुनाव में नेता प्रतिपक्ष वन मैन शो की तरह उभरे हैं। विपरीत हालातों और पार्टीगत झंझावतों से जूझते हुए पत्नी के सिर आखिर जीत का सेहरा सजवा ही दिया। महंत दंपत्ति जनता, कार्यकर्ताओ का आभार जताते नहीं थक रहे।
मोदी लहर और राज्य में बी जे पी की सरकार के बीच चुनाव जीतना ऐतिहासिक
यह चुनाव एक ऐसे दौर में हुआ जब एक तरफ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर लोगों के सिर चढ़कर बोल रही है और दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। निश्चित तौर पर सत्तारूढ़ पार्टी के प्रति रुझान तब ज्यादा बढ़ जाता है जब अपनी ही पार्टी में नाराजगी बढ़ी हो।
5 वर्षों तक कोरबा लोकसभा की सांसद रहीं ज्योत्स्ना महंत के भी लगभग 2 साल वैश्विक कोरोना काल में चले जाने के बाद काम करने के लिए, लोगों से मिलने के लिए काफी कम वक्त मिला।
भाजपा ने लापता सांसद का हल्ला मचाकर माहौल को और विपरीत करने का काम किया
ज्योत्सना महंत ने अपने प्रतिनिधि के तौर पर जिन्हें जिम्मेदारियां सौंपी, उनमें से कई ने दायित्व का निर्वहन जन भावनाओं के अनुरूप नहीं किया। विधानसभा चुनाव में इसके कारण नाराजगी देखने को मिली क्योंकि उनकी दखल चुनाव में थी। इसके बाद लोकसभा चुनाव में भी यह नाराजगी दिखती रही। भाजपा ने लापता सांसद का हल्ला मचाकर माहौल को और विपरीत करने का काम किया। इधर सत्तारूढ़ दल के प्रति आकर्षण बढ़ा और कईयों ने नाराजगी तो कई ने मजबूरी के कारण सत्ता दल का दामन थामा।
चुनाव में ऐसे कूटनीतिक हालात अप्रत्यक्ष निर्मित किए गए कि कई लोग कांग्रेस का साथ छोड़ गए जिनमें बहुत तो पुराने लोग भी थे और इस चुनाव में उनसे खासी मदद मिल पाती।
ज्योत्सना महंत के साथ कदम से कदम मिलाकर पति डॉ.चरण दास महंत ने मोर्चा संभाला
भाजपा उम्मीदवार और उनके लोगों ने अपना काम किया लेकिन इन झंझावतों के बीच ज्योत्सना महंत भीतरघात व खुलाघात को जानते हुए भी बिना विचलित हुए डटी रहीं तो उनके साथ कदम से कदम मिलाकर पति डॉ. चरण दास महंत ने मोर्चा संभाला।
एक तरफ जहां भाजपा का बहुत बड़ा ताम झाम राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर के मंत्री गण और अमला लग रहा तो दूसरी तरफ डॉ.महंत ने अपने राजनीतिक संबंधों और पिता से मिली विरासत को आगे बढ़ाने के लिए जनता के सामने खुद को समर्पित कर दिया। वह लोगों के बीच खुद जाकर मिले।
यह फायदा जरूर हुआ कि जो लोग कांग्रेस छोड़कर चले गए, तो उनके कारण डॉ.महंत व आम लोगों के बीच बनती जा रही दूरियां खत्म हो गईं। डॉ. महंत सीधे लोगों के बीच पहुंचे तो आत्मीयता और बढ़ गई।इसका सीधा-सीधा लाभ देखने को मिला और स्थानीय जनप्रतिनिधि ज्योत्सना महंत ने रिकार्ड मतों से जीत हासिल की।
फिर तारणहार बना तानाखार
विपरीत हालातों के बीच कांग्रेस के लिए एक बार फिर पाली तानाखार विधानसभा तारणहार साबित हुआ है। कोरबा जिले का रामपुर विधानसभा और जीपीएम जिले का मरवाही विधानसभा ने भी काफी साथ दिया और यहां के मतदाताओं ने कांग्रेस की झोली में भर-भर कर वोट डाले। सभी क्षेत्र में जहां खासकर कोरबा और कटघोरा विधानसभा के शहरी इलाकों में भाजपा की लहर चली और नाराजगी के कारण कांग्रेस के अधिकांश नेताओं ने खुलकर अपने प्रत्याशी के लिए काम नहीं किया जिससे इस चुनाव में कोरबा विधानसभा में काफी बड़ा अंतर नजर आया तो कटघोरा में भी कुछ खास बढ़त कांग्रेस को नहीं मिली।
कोरबा और कटघोरा विधानसभा के शहरी इलाकों में भाजपा की लहर चली
यदि कटघोरा के कांग्रेसी साथ देते तो मतों का अंतर कहीं ज्यादा होता। दूसरी तरफ कोरबा में कांग्रेसियों की नाराजगी दूर नहीं की जा सकी, यह बात डॉ. महंत भली भांति जानते थे। उन्होंने सबको एक करने की कोशिश की। डॉ. महंत ने जयचन्दो की करतूतों और फूल छाप कांग्रेसियों की शैली को समझने के साथ-साथ अंदरूनी तौर पर अपनी तैयारी जारी रखी। डॉ.महंत की कुशल रणनीति ने विपक्ष को आखिरकार शिकस्त दे ही दी। अब उनके वन मैन शो बन जाने की चर्चा लोकसभा ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ में हो रही है।