सीएसईबी की उदासीनता इस कदर कायम है कि वह अपनी ही जमीन की सुरक्षा करने को लेकर चैन की बंसी बजा रहा है। कोरबा में वार्ड संख्या 17 के अंतर्गत बिजली कंपनी की खाली पड़ी जमीन को हथियाने का खेल बड़े पैमाने पर चल रहा है। यहां जमीन पर कब्जा करने के साथ उससे बेचने का काम भी किया जा रहा है। इस मामले में नगर निगम का साफ तौर पर कहना है कि जमीन सीएसईबी की है और सुरक्षा की दिशा में सीएसईबी को ही ध्यान देना चाहिए।
कोरबा के कुछ हिस्से में सरकारी उपक्रमों की खाली पड़ी जमीन पर लोगों की नजर लगी हुई है। अपनी जरूरत और मजबूरी के साथ राजनेताओं के आशीर्वाद के साथ लोग ऐसी जमीन को हथियाने में लगे हुए हैं। नगर निगम के वार्ड क्रमांक 17 में स्कूल के लिए प्रस्तावित जमीन पर काफी लोगों ने कब्जा कर रखा है। यह काम लगातार बढ़ता ही जा रहा है। मौके पर छोटी-बड़ी झोपड़ियां तैयार कर ली गई है। दावा किया जा रहा है कि बेजा कब्जा करने के साथ उसकी बिक्री की जा रही है । इस क्षेत्र के पूर्व पार्षद मुकेश राठौर ने बताया कि पूर्व में उनकी शिकायत पर अतिक्रमण हटाए गए थे। कुछ नए अतिक्रमण यहां पर किए गए हैं, इन्हें हर हाल में हटाया जाना चाहिए।
पूर्व पार्षद राठौर का कहना है कि इस इलाके में स्कूल प्रस्तावित किया गया है प्रशासन चाहे तो यहां पर जमीन को बचाने के लिए पार्क बना सकता है। इस पर नगर निगम का साफ तौर पर कहना है कि संबंधित जमीन सीएसईबी की है कुछ मौके पर नगर निगम ने अतिक्रमण हटाने का काम किया है लेकिन जमीन कैसे सुरक्षित रहें इस बारे में सीएसईबी को ही प्रयास करने होंगे।
शहरी क्षेत्र में एसईसीएल और सीएसईबी की जमीन पर कई लोगों की नजर लगे हुए हैं। अनेक अवसरों पर ऐसे मामले प्रकाश में आ चुके हैं। एसईसीएल हेलीपैड के पास प्लांटेशन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई करने के साथ वहां जमीन को कब्जाने का काम हो चुका है। इस मामले में कई तरह के आरोप लगाए जाते रहे हैं । अब नए सिरे से यही काम सीएसईबी की जमीन पर हो रहा है । कोरबा में जमीनों की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में लोग यही मंशा में है कि किसी भी तरह उपक्रमों की जमीन को अपने कब्जे में लेने के साथ उसका व्यवसायिक उपयोग किया जाए। यह काम आखिर कैसे रुकेगा, इस दिशा में अधिकारियों को गंभीरता दिखाए जाने की आवश्यकता है।
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