Monday, December 29, 2025

भारतीय जनता पार्टी का आदिवासी इलाके से खोई जमीन तलाशने की कवायद

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छत्तीसगढ़ में सत्ता का रास्ता बस्तर से निकलता है, इस मिथक के सहारे भाजपा 2023 में सरकार बनाने के लिए बस्तर से बड़ी मुहिम शुरू करने जा रही है। तीन दिन के चिंतन शिविर की शुरुआत मंगलवार को जगदलपुर स्थित भाजपा नेता के होटल से शुरू होगी। पहले दिन राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी, सह प्रभारी नितिन नवीन शामिल होंगे, जबकि दूसरे दिन राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष पदाधिकारियों को मार्गदर्शन देंगे। इसमें शामिल होने के लिए पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, पूर्व मंत्री और विधायक बृजमोहन अग्रवाल, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक सहित कोर ग्रुप के सदस्य व सांसद-विधायक जगदलपुर फ्लाइट से रवाना होंगे। चिंतन शिविर की शुरुआत मंगलवार को हाई टी से होगी। पहले दिन सामान्य विषयों पर चर्चा होगी। इसके बाद दूसरे और तीसरे दिन 2018 चुनाव से पहले की गतिविधियों और चुनाव के बाद अब तक की गतिविधियों पर बात होगी। इस दौरान आरएसएस के पदाधिकारियों का भी मार्गदर्शन होगा। एक अगस्त को राष्ट्रीय संगठन महामंत्री संतोष पदाधिकारियों को संबोधित करेंगे। 2 अगस्त को दोपहर 2 बजे तक शिविर का आयोजन होगा। इसके बाद सभी नेता संभागीय सम्मेलन में भाग लेंगे। इसमें करीब दो हजार लोगों की भीड़ जुटने की तैयारी

सत्ता जाने और वापस पाने पर करेंगे चिंतन 15 साल तक लगातार सत्ता में रहने के बाद महज 15 सीटों पर सिमटने के कारणों के साथ-साथ अब संगठन को एकजुट कर फिर से सत्ता हासिल करने के लिए भाजपा नेता चिंतन करेंगे। राज्य बनने के बाद जब पहली बार चुनाव हुए थे, तब भाजपा ने आदिवासियों के लिए आरक्षित 23 सीटें जीती थीं। 2008 में 19 और 2013 में 11 सीटों पर जीत हासिल की थी। वर्तमान में भाजपा के पास सिर्फ दो आदिवासी विधायक हैं। इनमें कोरबा जिले से ननकीराम कंवर और गरियाबंद से डमरूधर पुजारी हैं। बस्तर में पहली बार में 8 सीटें जीतने के बाद भाजपा को 10 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन अब बस्तर और सरगुजा दोनों संभाग में भाजपा के पास एक भी आदिवासी विधायक नहीं हैं।

सभा के 2 सांसद शामिल होंगे। 14 विधायक भी शामिल होंगे। सांसद व विधायकों की नई जिम्मेदारियों पर बात होगी। केंद्र सरकार की योजनाओं के प्रचार और राज्य में गड़बडिय़ों, फंड की कमी की वजह से योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं होने जैसे मुद्दों को सांसद-विधायक प्रदेशभर में मिलकर उठाएंगे। चार साल बाद चिंतन शिविर का आयोजन किया जा रहा है, लेकिन इसमें कई वरिष्ठ नेताओं को नहीं बुलाने पर भी विवाद की स्थिति बन रही है। तीनों प्रदेश महामंत्री के साथ तीन ही प्रदेश उपाध्यक्ष बुलाए गए हैं। कोषाध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, पूर्व मंत्री व प्रवक्ता राजेश मूणत, संजय श्रीवास्तव, अनुराग सिंहदेव आदि को चिंतन शिविर में नहीं बुलाया गया

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