नमस्ते कोरबा :- अंग्रेजी स्कूल के नाम पर छत्तीसगढ़ सरकार कर रही करोड़ों खर्च, हिंदी मीडियम जीर्णोद्धार को तरस रहे हैं,छत्तीसगढ़ में एक ओर जहां स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर नई बिल्डिंग बनाई जा रही हैं, एवं स्कूलों में तमाम तरह की सुविधाएं उपलब्ध करा रही है सरकार तो वहीं जिले के कई ऐसे स्कूल हैं जो अपने जीर्णोद्धार को तरस रहे हैं.
कोरबा शहर के बीचोबीच स्थित वार्ड क्रमांक 3 राताखार मैं एक ऐसा सरकारी स्कूल है जहां केवल 4 कमरे हैं और उन चार कमरों में लगभग 400 बच्चे अध्ययनरत हैं, जिसमें प्राइमरी और मिडिल की कक्षाएं संचालित है इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस स्कूल में पढ़ाई का स्तर क्या होगा,इन चार कमरे की कक्षाओं में बच्चों को बैठने के लिए कोई माकूल व्यवस्था नहीं है, कमरों के अभाव में स्कूल के गैलरी में बच्चों को भेड़ बकरियों की तरह भरकर पढ़ाया जा रहा है,स्कूल की बाउंड्री वॉल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है जिससे रात के अंधेरे में स्कूल में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है, स्कूल बरामदे में खाली शराब की बोतलों सहित ही अन्य अनैतिक चीजों में प्रयुक्त होने वाले सामान बिखरे पड़े हैं,
वार्ड पार्षद ने बताया कि सन 2005 से स्कूल संचालित है जिसमें प्राइमरी स्कूल के लिए दो कमरे एवं मिडिल स्कूल के लिए दो कमरे है, हमने स्कूल के जीर्णोद्धार के लिए कई बार आवेदन किया है परंतु किसी भी जिम्मेदार अधिकार के द्वारा अभी तक हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया,
स्कूल की छत से टपकता है पानी विद्यालय में अध्ययनरत छात्रों का कहना है कि विद्यालय परिसर में पानी से लेकर शौचालय की व्यवस्था उचित नहीं होने के कारण उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.स्कूल की स्थिति के बारे में जब हमने जिला शिक्षा अधिकारी को अवगत कराया तो उन्होंने इस मामले में बी ई ओ पर जवाबदारी डाल दी शिक्षा अधिकारी ने कहा कि सभी बी ई ओ को निर्देशित किया गया है कि जिन स्कूलों में कमरों का अभाव है उन का प्राक्कलन तैयार कर राज्य सरकार को अनुमति के लिए भेजें,अब यह सबसे बड़ा एवं गंभीर सवाल यह उठता है कि क्या जिला शिक्षा अधिकारी को उनके कार्यक्षेत्र में सरकारी स्कूलों की वास्तविक स्थिति की जानकारी नहीं है, या फिर सब कुछ जानते हुए भी अनजान बने हुए हैं
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