
नमस्ते कोरबा :-: शहर में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के लिए केवल कल कारखानों को दोष देना न्यायउचित नहीं होगा इसके लिए आप और हम भी बराबर के जिम्मेदार हैं, घरों में खाना पकाने के लिए जलाए जा रहे कोयले के कारण शाम होते कोरबा का पुराना शहर धुएं की आगोश में समा जाता है.। आलम यह होता है कि कुछ मीटर की दूरी पर भी ठीक तरह से देख पाना संभव नहीं हो पाता. यह कोई प्राकृतिक प्रकोप नहीं है बल्कि इसका कारण सिगड़ी से उठने वाला धुआं है. रेलवे स्टेशन के समीप बसे संजय नगर की स्लम बस्ती समेत आसपास के इलाके में मजदूरों के परिवार खाना पकाने के लिए बड़े पैमाने पर ईंधन के रूप में कोयला जलाते हैं. इसी कोयले से यह धुआं पूरे कोरबा को धुआं-धुआं कर देता है. कोरबा जिले में भरपूर कोयला उत्पादन होता है. यूं कहें कि देशभर में कोयले की वजह से ही कोरबा की पहचान है. यहां लोगों को आसानी से और 50 से 250 रुपये बोरी के हिसाब से कोयला मिल भी जाता है. इसी का नतीजा है कि लोग महंगे एलपीजी के खर्चे से बचते हुए कोयले पर ही खाना पकाते हैं. कोरबा में कई परिवार ऐसे भी हैं, जो अब तक उज्जवला योजना के तहत मिलने वाले गैस सिलेंडर की बाट जोह रहे हैं. और जिन्हें उज्ज्वला योजना का लाभ मिल गया है उनके घरों में खाली गैस सिलेंडर घर की शोभा बढ़ा रहा है ,आलम यह है कि शहर की हवा अब जहरीली होने लगी है. स्टेट हेल्थ रिसोर्स सेंटर की जारी रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि कोरबा की हवा में प्रदूषण मानक पैमाने से 28 गुना ज्यादा है. राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र की रिपोर्ट में पुराने शहर के रानी धनराज कुंवर अस्पताल के आस-पास पार्टिकुलेट मैटर 2.5 का स्तर 265 से अधिक पाया है. इसका कारण है आसपास के आसपास बड़े पैमाने पर कोयला जलाया जाना. शाम होते ही यहां सिगड़ी के धुएं का प्रकोप साफ देखा जा सकता है. इस रिपोर्ट में पुष्टि है कि पीएम 2.5 का स्तर यहां काफी चिंताजनक है. यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक हो सकता है.इसके अलावा जिला अस्पताल अस्पताल बेलटिकरी, काशीनगर और मानिकपुर आदि स्थानों से भी सैंपल लिये गए हैं. सबसे चिंताजनक स्थिति इमली छापर और सिरकी से लिये सैंपल के हैं. यहां का स्तर 1600 से भी अधिक है. जब हवा में पीएम 2.5 का स्तर इतना अधिक हो तो जानकार घर से बाहर निकलने और किसी भी तरह की गतिविधियों पर पाबंदी लगा देने की बात कहते हैं. कोरबा में लोग लगातार इस तरह के प्रदूषण का सामना कर रहे हैं.राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र ने शोध के लिए कोरबा से मार्च 2021 से जून 2021 के बीच 14 सैंपल लिये थे. जांच के लिए संग्रहित सैम्पल में भारी मात्रा में हानिकारक सिलिका, निकल, शीशा और मैग्नीज के कण पाए गए. कोरबा में पार्टिकुलेट मैटर 2.5 का स्टार बेहद चिंताजनक पाया गया है, जो कि राष्ट्रीय मानक स्तर के अनुसार करीब 28 गुणा तो रायपुर में यह करीब 11 गुणा अधिक है।