महिला दिवस विशेष, अपनी कमजोरी को बनाया ताकत अब दिव्यांग बच्चों का संवार रही भविष्य
नमस्ते कोरबा :- कहते हैं अगर मन में करने की लगन हो, तो कुछ भी किया जा सकता है. ठीक उसी प्रकार कोरबा की एक ब्लाइंड महिला अब,नेत्रहीन, गूंगे-बहरे बच्चों को पढ़ाकर उनका जीवन संवारने में लगी है. हम बात कर रहे हैं डॉ राजेंद्र प्रसाद नगर निवासी दिव्य ज्योति स्कूल की शिक्षिका मीनाक्षी रत्नपारखी की. मीनाक्षी को आंखों से नहीं दिखता, यह समस्या काफी लंबे समय से उनके साथ है. पहले मीनाक्षी को आंखों से थोड़ा-थोड़ा दिखता था पर अक्षरों को पढ़ नहीं सकती थी. घर वालों की मदद से बीकॉम तक पढ़ाई पूरी की जिसमें उनके पति मनोज रत्नपारखी ने भरपूर सहयोग किया उसके बाद उन्होंने नेत्रहीन बच्चों को पढ़ाने के लिए पीएचडी भी की ओर कदम बढ़ाया और नेत्रहीन बच्चों के जीवन में शिक्षा की अलख जगा रही है.
मीनाक्षी ने बताया कि आंखों से नहीं दिखने के कारण जिंदगी में काफी संघर्ष करना पड़ा. आगे जिंदगी को बेहतर तरीके से जीने के लिए और आत्मनिर्भर बनने के लिए पढऩा चाहती थी. अपनी पढ़ाई के बदौलत जिंदगी में आत्मनिर्भर बनकर दूसरों की मदद कर पा रही हूं. शिक्षा की वजह से आज लोग मुझे मेरे नाम से पहचानते हैं. शिक्षा के कारण ही आज मैं नेत्रहीन, गूंगे- बहरे बच्चों को तालीम दे कर शिक्षक का किरदार निभा पा रही हूं
मीनाक्षी ने बताया कि वे चाहती हैं कि ब्लाइंडनेस और डेफिनेश बच्चे पढ़ें और आत्मनिर्भर बने. ऐसे बच्चों की जिंदगी में काफी चुनौतियां रहती है. बच्चों को सही मार्गदर्शन मिले तो बेहतर कर सकते हैं. आज कई ऐसे संस्थान हैं जहां दृष्टिबाधित या मूकबधिर बच्चे अपना बेहतर देकर कार्य कर रहे हैं. साथ ही शिक्षित होकर जीवन में आत्मनिर्भर भी बन रहे हैं.