कौन बनेगा सभापति :महापौर के नतीजे के बाद सभापति पद को लेकर रेस में कई नाम
नमस्ते कोरबा :- पूरे 10 साल के बाद नगर पालिक निगम कोरबा में भाजपा की वापसी हुई है। संजू देवी राजपूत को इस बार महापौर पद पर जीत मिली। जबकि 45 पार्षद भाजपा के चुने गए हैं। 11 निर्दलियों में से 6 भाजपा विचारधारा से वास्ता रखते हैं। बहुमत के आंकड़े को पार करने के बाद अब मशक्कत इस बात को लेकर हो रही है कि सभापति कौन होगा? कई नाम इस पद के लिए रेस में बने हुए हैं लेकिन अंतिम निर्णय भाजपा संगठन ही करेगा।
अशोक, हितानंद, चंद्रलोक के अलावा और भी सक्रिय
नगर निगम कोरबा का महापौर पद सामान्य महिला के लिए रिजर्व किया गया था। संगठन ने रोस्टर के हिसाब से चुनाव में प्रत्याशी को उतारा और उसने रिकार्ड अंतर से जीत दर्ज की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार के कामकाज के अलावा चुनाव के दौरान जारी किये गए अटल संकल्प पत्र ने मतदाताओं के बीच लहर पैदा करने का काम किया। भले ही निगम क्षेत्र में 61.4 प्रतिशत मतदान हुआ लेकिन इस पर भी महापौर समेत 45 वार्ड से भाजपा के पार्षद चुनकर आए।
वहीं कई निर्दलीय भी भाजपा खेमे के हैं और उनकी वापसी तय मानी जा रही है। महापौर के शपथ ग्रहण के बाद सभापति चुना जाना है। अटकलें इस बात को लेकर है कि साकेत की कार्यवाही की संचालन के लिए सभापति कौन होगा? खबर के मुताबिक पूर्व सभापति और इस बार आरपी नगर से निर्वाचित वरिष्ठ पार्षद अशोक चावलानी, बालको नगर क्षेत्र से तीसरी बार निर्वाचित हितानंद अग्रवाल और तीसरी बार सीएसईबी वार्ड से निर्वाचित चंद्रलोक सिंह,वार्ड क्रमांक 18 से निर्विरोध निर्वाचित श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन के अनुज नरेंद्र देवांगन के साथ अन्य नाम रेस में बने हुए हैं और इसे व्यवहारिक कारणों से स्वाभाविक बताया जा रहा है।
जनता के बीच अलग छवि और संगठन में पकड़ होने व निर्विवाद तरीके से काम करने को प्रमुख आधार माना जा रहा है। इनके अलावा और भी नाम बताए जा रहे हैं लेकिन संभावना क्षीण नजर आती है। सूत्रों ने बताया कि सभापति को लेकर संबंधित लोगों ने अपनी ओर से कोई दावे नहीं किये हैं। उनका कहना है कि संगठन अपनी नीति से कोरबा के लिए सभापति का चयन करेगा।
सदन के चलाने की होती है जिम्मेदारी
नगरीय निकायों में प्रमुख पद महापौर का होता है लेकिन साधारण सभा और अन्य मामलों में जब कार्यवाही होती है तो संचालन की जिम्मेदारी मूल रूप से सभापति की होती है। नियम-कानून की जानकारी रखने के साथ रणनीतिक स्तर पर भी उसे देखना होता है कि कार्यवाही को किस दिशा में ले जाना है।
समन्वय बनाने और पारदर्शी व्यवस्था को स्थापित करते हुए कामकाज संपन्न हो एवं किसी प्रकार से विवाद की स्थिति निर्मित न होने पाए, यह भी उसका दायित्व होता है। इसलिए निकायों में इसके लिए काफी सोच-समझकर निर्णय लिए जाते हैं।
इन्होंने संभाला दायित्व
नगर निगम कोरबा के गठन के बाद रामनारायण सोनी, अशोक चावलानी, संतोष राठौर, धुरपाल सिंह कंवर और श्यामसुंदर सोनी सभापति पद पर रह चुके हैं। अब छठवां सभापति चुना जाना है।