Monday, December 8, 2025

Sunday special : कोरबा के मामा-भांजा तालाब का रहस्य : सोना-चांदी से भरा ‘हंडा’ या सदियों पुरानी लोककथा?

Must Read

Sunday special : कोरबा के मामा-भांजा तालाब का रहस्य : सोना-चांदी से भरा ‘हंडा’ या सदियों पुरानी लोककथा?

नमस्ते कोरबा :- कोरबा जिले के राजकम्मा गांव के बाहरी हिस्से में स्थित एक शांत-सा तालाब इन दिनों लोगों में अजीब-सी जिज्ञासा और डर दोनों पैदा कर रहा है। ग्रामीण इसे मामा-भांजा तालाब कहते हैं। अकसर यहां हलचल होती रहती है, और ग्रामीणों का दावा है कि इसकी गहराई में सोना-चांदी से भरा ‘हंडा’ आज भी जंजीरों में बंधा पड़ा है। कहा तो यह भी जाता है कि वह कभी-कभी पानी की सतह पर उभर आता है।

कहानी वर्षों पुरानी

ग्रामीणों के अनुसार यह कथा पीढ़ियों से सुनाई जा रही है। कहते हैं कि किसी समय यहां मामा और भांजा धान की खेती किया करते थे। मौसम ऐसा आया कि मामा के खेत में धान की भरपूर पैदावार हुई, लेकिन भांजे का खेत सूना रह गया। भांजा मायूस था, पर यह अनुमान किसी को न था कि उसके खेत की धरती में वास्तव में धान नहीं बल्कि सोने की पैदावार हो चुकी थी।

दावे के मुताबिक मामा किसी तरह यह जान गया और उसने भांजे को अपनी फसल देकर उसका खेत काटने की योजना बनायी। फसल बैलगाड़ी में भर कर जब वह घर की ओर निकला तो गाड़ी खुद-ब-खुद भांजे के घर का रास्ता पकड़ने लगी। बताया जाता है कि गुस्से में मामा ने बैलों को चाबुक से मारा तो बैल, गाड़ी और पूरा हंडा अचानक तालाब में समा गया। ग्रामीणों का विश्वास है कि यही वही खजाना है जो आज भी तालाब के तल में बंद पड़ा है।

“हंडा ज़िंदा है, जंजीर दिखती है” : ग्रामीण

गांव के कई लोगों का दावा है कि अमावस्या और कुछ विशेष रातों में तालाब के बीचों बीच हल्की चमक और कोई धातु जैसी आकृति दिखती है। स्वर ऐसे सुनाई देते हैं जैसे पानी में कुछ नीचे खिंच रहा हो। कुछ वरिष्ठ ग्रामीण बताते हैं कि उन्होंने अपनी आंखों से जंजीर जैसी चीज़ें बाहर निकलते देखी हैं, जो फिर कुछ देर बाद गायब हो गईं।

गांव के बुजुर्ग कहते हैं “खजाना किसी अदृश्य शक्ति के कब्जे में है। उसे बाहर निकालने की कोशिश करने वाला कभी भी सलामत नहीं रह सकता।”

तालाब में जान पड़ गई है?

कुछ ग्रामीणों का मानना है कि हंडा वर्षों से गड़ा होने के कारण उसमें “रूहानी चेतना” आ गई है। उनकी मान्यता है कि इस खजाने पर देवी देवताओं या किसी अदृश्य ताकत का पहरा है, जो इसे बाहर नहीं आने देती। कई परिवार अपने बच्चों को इस तालाब की तरफ जाने से रोकते हैं।

दोपहर में भी सन्नाटा

दिन के समय भले ही तालाब साधारण दिखाई देता है, लेकिन आसपास के लोगों की मानें तो गहराई में उतरते ही पानी का रंग बदलने लगता है। गांव वाले यहां स्नान तो दूर, नाव या हवा भरने का काम भी नहीं करते। खेतों में काम करने वाले मजदूर भी शाम ढलते ही इस इलाके को खाली कर देते हैं।

किंवदंती या सच?

स्थानीय ग्रामीण और बुजर्गों का कहना है कि इस इलाके में कभी व्यापारिक कारवां गुजरा करते थे और संभव है कि किसी समय धन-संपत्ति की सुरक्षा के लिए खजाना पानी के पास छुपाया गया हो। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि कहानी के सच होने का कोई प्रमाण मौजूद नहीं है।

सवाल अब भी वहीं

क्या वाकई इसमें सोने-चांदी का हंडा छुपा है? क्या यह किसी पुराने परिवार का खजाना है? या फिर सैकड़ों साल पुरानी लोककथा जिसने एक साधारण तालाब को रहस्य का दूसरा नाम बना दिया?

राजकम्मा गांव के लिए यह तालाब महज़ पानी का स्रोत नहीं, बल्कि भय, उत्सुकता और मान्यताओं का ऐसा संगम है, जिसे सुनकर आज भी लोगों की रूह कांप जाती है।

(नोट : यह एक लोकमान्यता और ग्रामीण कथा पर आधारित रिपोर्ट है। इसके तथ्यों की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है।)

Read more :- करतला ब्लॉक में हाथियों की दस्तक,ड्रोन कैमरे में कैद हुआ 15 हाथियों का मूवमेंट,विभाग ने बढ़ाई चौकसी

- Advertisement -

सब्सक्राइब करें नमस्ते कोरबा न्यूज़ YOUTUBE चैनल

5,220SubscribersSubscribe
- Advertisement -
Latest News

कुदुरमाल पुल बंद, वैकल्पिक मार्ग ही बना खतरा,प्रशासन की लापरवाही पर भड़के ट्रांसपोर्टर

कुदुरमाल पुल बंद, वैकल्पिक मार्ग ही बना खतरा,प्रशासन की लापरवाही पर भड़के ट्रांसपोर्टर नमस्ते कोरबा : कोरबा ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन ने...

More Articles Like This

- Advertisement -