कोरबा में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाओं का जोरदार प्रदर्शन, सरकार से हक-अधिकार की मांग
नमस्ते कोरबा :- आईसीडीएस योजना को लागू हुए 50 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएँ आज भी अपने बुनियादी अधिकारों से वंचित हैं। इन्हीं मुद्दों को लेकर 1 सितम्बर को प्रांतीय आह्वान पर जिलेभर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाएँ कोरबा जिला मुख्यालय पहुंचीं। यहां उन्होंने रैली निकालकर धरना-सभा की और सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी करते हुए ज्ञापन सौंपा।
प्रदर्शन में शामिल कार्यकर्ताओं ने कहा कि उन्हें न तो कर्मचारी का दर्जा मिला है और न ही न्यूनतम मजदूरी, पेंशन, ग्रेज्युटी, बीमा व चिकित्सा जैसी सुविधाएँ। उन्होंने अपनी मांगें विस्तार से रखीं
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को तृतीय श्रेणी और सहायिका को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी घोषित किया जाए।
कर्मचारी घोषित होने तक कार्यकर्ता को ₹26,000 और सहायिका को ₹22,100 मासिक वेतन मिले।
सेवा निवृत्ति पर पेंशन, ग्रेज्युटी, बीमा और कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
सहायिकाओं को कार्यकर्ता तथा कार्यकर्ताओं को सुपरवाइजर पद पर पदोन्नति दी जाए।
फेस कैप्चर व e-KYC जैसी डिजिटल प्रक्रियाएँ बंद कर ऑफलाइन कार्य व्यवस्था लागू की जाए।
न्यूनतम वेतन व महंगाई भत्ते पर गुजरात हाईकोर्ट का निर्णय छत्तीसगढ़ में लागू किया जाए।
सेवानिवृत्ति पर कार्यकर्ता को ₹10,000 व सहायिका को ₹8,000 पेंशन और क्रमशः ₹5 लाख व ₹4 लाख की ग्रेज्युटी दी जाए।
आकस्मिक मृत्यु की स्थिति में परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।
धरना स्थल पर कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी कि “अगर सरकार ने हमारी मांगों पर तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो यह आंदोलन और व्यापक स्वरूप लेगा।” कोरबा ज़िला मुख्यालय में हुए इस आंदोलन में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता-सहायिकाएँ शामिल हुईं और उन्होंने अपने हक-अधिकार को लेकर एकजुटता दिखाई।