रक्षाबंधन : एक धागा जो अपनों से ज़्यादा अपनों को जोड़ता है,राखी बाँधिए,उम्मीदों से,दुआओं से,अपनापन से
नमस्ते कोरबा :- कभी सोचा है एक नाज़ुक सा धागा इतनी मजबूती से दिलों को कैसे बाँध लेता है? शब्दों की ज़रूरत नहीं पड़ती वो बस चुपचाप बंधता है, लेकिन उसके साथ बंध जाती हैं हज़ारों भावनाएँ।
बहन के हाथों से lovingly बंधी राखी में सिर्फ रंग, मोती और डिजाइन नहीं होते उसमें होती है उसकी निस्वार्थ दुआ,बचपन की यादों की मिठास,और एक ऐसा भरोसा, जो हर हाल में साथ निभाने का वादा करता है।
कभी वो राखी एक छोटे भाई की कलाई पर बंधती है,जो अभी बोलना भी नहीं जानता,तो कभी उस भाई की कलाई पर,जो विदेश में है,और बहन बस पोस्ट से राखी भेजकर अपने प्यार को पहुंचाती है। पर भावनाएं वही रहती हैं सच्ची, गहरी और अटूट।
कभी-कभी हम अपनी भागती-दौड़ती ज़िंदगी में रिश्तों को बस “परंपरा” समझ लेते है
फोन नहीं उठाया,मैसेज नहीं किया,मिलने का वादा टल गया और रिश्ते धुंधले पड़ने लगते हैं। पर रक्षाबंधन हर साल आता है, एक gentle reminder बनकर कि कोई है, जो हर दिन तुम्हारे लिए दुआ करता है, जो बिना बोले भी तुम्हें समझता है, जो तुम्हारे लिए हर हाल में खड़ा रहेगा बस इस रिश्ते के नाम पर। और रक्षाबंधन सिर्फ भाई-बहन तक सीमित नहीं है,
जब किसी बुज़ुर्ग की आँखें अपने बेटे-बेटी की राह तकती हैं, जब कोई अनाथ बच्चा बस किसी का स्नेह चाहता है, जब कोई अकेला इंसान सिर्फ एक “अपना” ढूंढ रहा होता है,तब एक राखी सिर्फ एक राखी किसी की दुनिया बदल सकती है।
क्या ज़रूरी है कि राखी सिर्फ खून के रिश्ते को ही जोड़े? कभी-कभी एक अजनबी इंसान भी ऐसा अपनापन दे जाता है, जो अपने भी नहीं दे पाते।
रक्षाबंधन यही सिखाता है, कि रक्षा का वादा वहाँ भी किया जा सकता है जहाँ सिर्फ दिल जुड़ते हैं, न कि DNA। इस बार रक्षाबंधन अगर आपकी कलाई खाली है, तो किसी को अपना बना लीजिए क्योंकि किसी को शायद आज भी एक बहन की ज़रूरत है, या कोई बहन हर साल एक भाई की कमी महसूस करती है।
अगर आपके भाई अब इस दुनिया में नहीं हैं, तो किसी छोटे बच्चे की कलाई पर राखी बांधिए,उसका चेहरा देखिए शायद उसमें आपको वही मुस्कान दिखे, जो अब यादों में रह गई है।
अगर आप किसी से दूर हैं, तो बस एक चिट्ठी भेजिए,शब्दों में वो ताकत है जो हजारों मीलों की दूरी मिटा सकती है। क्योंकि राखी सिर्फ त्योहार नहीं है,ये एक एहसास है कि हम अकेले नहीं हैं, कि कोई है जो हमारी चिंता करता है, कि इस दुनिया में रिश्ते सिर्फ जन्म से नहीं, जज़्बातों से भी बनते हैं।
राखी हर साल आती है पर उसकी भावना हर दिन जीने लायक होती है। इस रक्षाबंधन पर, किसी को वो रिश्ता दीजिए जिसकी उसे सच में ज़रूरत है। कभी बहन बन जाइए, कभी भाई कभी किसी का सहारा, कभी किसी की मुस्कान। क्योंकि ये धागा जितना बाहर बंधता है, उससे कहीं ज़्यादा अंदर जुड़ता है दिल से।