कोरबा के जानलेवा प्रदूषण में संजीवनी का काम कर रहा है युवक, बड़ी संख्या में सड़क किनारे लगा रहा है पेड़ पौधे
नमस्ते कोरबा :- कोरोना काल के दौरान ऑक्सीजन की कमी के चलते लोगों की जान जा रही थी. कई बार बात सामने आई है कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषित हवा में सांस लेना कठिन होने लगा है. अब जाकर हमने ऑक्सीजन, प्रकृति और पेड़ों के बारे में सोचना शुरू किया है, नहीं तो सालों से ग्लोबल वार्मिंग जैसी विकराल समस्या हमें धीरे-धीरे मौत के मुंह में ढकेल रही है. यह कहना है खीरमोहन नायक का. खीरमोहन बचपन से ही पेड़ पौधे लगाने में दिलचस्पी रखते हैं. कोरोना काल में निर्मित हुई भयावह स्थिति को देख अब और भी प्रबल रूप से पेड़ लगाने में जुट गए
खीरमोहन कोरबा शहर में सड़क किनारे पेड़ पौधों को पानी देते या रोपण करते दिख जाते हैं.
कोरबा के निहारिका क्षेत्र निवासी खीरमोहन इलेक्ट्रिकल इंजीनियर है. जिन्होंने अपनी पढ़ाई रायगढ़ के पॉलिटेक्निक कॉलेज से पूरी की है. वर्तमान में भारत एल्युमिनियम कंपनी (बालको) में बतौर इंजीनियर कार्य कर रहे हैं. ड्यूटी के 8 घंटे पूरे करने के बाद शेष समय वह अपने सेवा कार्य को देते हैं. सुबह उठकर अपनी गाड़ी से घूम-घूम कर लगाए गए पौधों को पानी देते हैं
खीरमोहन बताते हैं कि उन्होंने अब तक कितने पौधे लगाए हैं उसकी गिनती नहीं. लगाए गए पौधों में अधिकतर पीपल है. कोरोना महामारी के दौरान लोगों को ऑक्सीजन की अहमियत का पता चला, जिससे अब लोग जागरूक हो रहे हैं और अब पेड़ों का संरक्षण कर रहे हैं.
खीरमोहन ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि पौधों को मवेशियों से बचाने बाड़ा या घेरा बनाया जा सकता है, लेकिन इंसानों से बचाने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है. लोगों को वृक्षों की महत्ता को खुद समझना होगा और पेड़ों को कटने से बचाना होगा. तभी जीवन का आनंद ले पाएंगे. पेड़ है तो जीवन है. यही संदेश मैं लोगों को देना चाहता हूं.