‘डेंगू-गढ़’ बना ‘कोरबा’,पूरा शहर ‘बेबस’, किसी को कोई मतलब नहीं…पूरा सरकारी तंत्र फेल हुआ, किसी को कोई लेना-देना नहीं.डेंगू के नाम पर बस फोटो खिंचवाओ अभियान जारी
नमस्ते कोरबा :- बेबसी का ऐसा मंजर शायद ही पहले कभी कोरबा शहर ने देखा होगा। डेंगू के मच्छर ने पूरे सरकारी तंत्र की भद्द पीट कर रख दी है।कोरबा शहर की बेबसी इससे ही समझी जा सकती है कि न मंत्री,न विधायक,न महापौर और न ही पार्षद किसी को भी पब्लिक की इस जानलेवा समस्या से कोई लेना-देना नहीं रह गया है।
डेंगू के नाम पर बस फोटो खिंचवाओ अभियान कोरबा शहर में जारी है। बड़ी-बड़ी बातें और बड़े-बड़े सपने दिखाने के अलावा कोरबा शहर की तकदीर और कुछ नहीं रह गई है। यह इसलिए कहना ज्यादा जरूरी हो गया है क्योंकि पूरे शहर में डेंगू के मामले जिस तरह से बढ़ रहे हैं, यह आने वाले समय में और काबू से बाहर हो जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए।
(स्लम बस्तियों में सफाई व्यवस्था बड़ा कारण बन रही है डेंगू के फैलने की)
स्वास्थ्य विभाग से लेकर नगर निगम बस कमरों में गोष्ठी, कार्यक्रम और फोटो खिंचवाने में व्यस्त है लेकिन शहर में लोग जिस परेशानी से जूझ रहे हैं उससे शहर विधायक और मंत्री तथा महापौर के साथ किसी पार्षद को कोई मतलब नहीं रह गया है।कोरबा वाले अब भगवान भरोसे हो चुके हैं।
दवा छिड़काव का दावा, सभी बेअसर
कोरबा शहर के अलावा जहां-जहां डेंगू के मामले मिल रहे हैं वहां दवा छिड़काव का दावा स्वास्थ्य विभाग के साथ नगर निगम की ओर से किया जा रहा है,लेकिन सभी दावे पूर्ण रूप से फेल ही नजर आ रहे हैं। शहर के लगभग अस्पतालों में डेंगू के मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं। मच्छरों से निपटने के लिए फागिंग मशीन कारगर उपाय लेकिन कई वर्षों से कोरबा शहर में मशीन नजर नहीं आती है,
डेंगू के आंकड़ों में भी नगर निगम एवं स्वास्थ्य विभाग में तालमेल की कमी
नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग डेंगू के अलग-अलग आंकड़े बता रहे हैं, नगर निगम के हिसाब से निगम क्षेत्र में केवल 40 मरीज डेंगू के हैं वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग के सीएमएचओ ने लगभग 250 मरीज का आंकड़ा बताया है, जबकि धरातल स्थति कुछ और ही है,दोनों विभागों के आंकड़ों में अंतर से ही आप हिसाब लगा सकते हैं कि इस बीमारी से निपटने के लिए सरकारी तंत्र कितनी संजीदा है,