वीरान हो रहा है हरा-भरा जंगल, सरकार ने किया कोल ब्लॉक का आवंटन.अब खदान खोलने के लिए इस क्षेत्र में पेड़ काटे जा रहे हैं
Namaste Korba :- कोरबा से सरगुजा, झारखंड और ओडिशा की सीमा तक फैले हसदेव अरण्य को मध्य भारत का फेफड़ा कहा जाता है. क्योंकि प्रकृति और बायोडायवर्सिटी ही मानव जीवन के लिए सबसे जरूरी है. ये विशाल वन क्षेत्र अपनी बायोडायवर्सिटी की वजह से मध्य भारत को जीवन प्रदान करने में सहायक होता है. इस क्षेत्र में सरकार ने कोल ब्लॉक का आवंटन कर दिया है. अब खदान खोलने के लिए इस क्षेत्र में पेड़ काटे जा रहे हैं. ग्रामीण के लगातार विरोध के बावजूद पेड़ काटे जा रहे हैं.
पेड़ों की कटाई के बाद हसदेव अरण्य का एक हिस्से में पूरा क्षेत्र वीरान नजर आ रहा है. चारों तरफ पेड़ गिरे हुए हैं. सभी काटे गए पेड़ों को डिपो तक पहुंचाने का काम वन अमला कर रहा है. मामले में बड़ी बात यह है कि प्रदेश और देश में सरकार चाहे जिसकी भी हो, काम कोल खदान के पक्ष में ही करती है. भाजपा और कांग्रेस में से जो विपक्ष में होता है. वो पेड़ काटने को गलत बताता है. लेकिन सत्ता में आते ही वही राजनैतिक दल या तो पेड़ काटने का समर्थक हो जाता है. फिर मूक समर्थन के साथ शांत हो जाता है.
साल 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के केवल 1 फीसदी हाथी ही छत्तीसगढ़ में हैं, लेकिन हाथियों के खिलाफ अपराध की 15 फीसदी से ज्यादा घटनाएं यहीं दर्ज की गई हैं। अगर नई खदानों को मंजूरी मिलती है और जंगल कटते हैं, तो हाथियों के रहने की जगह खत्म हो जाएगी और इंसानों से उनका आमना-सामना और संघर्ष बढ़ जाएगा। यहां मौजूद वनस्पतियों और जीवों के अस्तित्व पर भी संकट मंडरा रहा है।
जंगलों को काटे जाने से बचाने के लिए स्थानीय लोग, आदिवासी, पंयायत संगठन और पर्यावरण कार्यकर्ता एकसाथ आ रहे हैं। स्थानीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन से लेकर अदालतों में कानूनी लड़ाई भी लड़ी जा रही है कि किसी तरह इस प्रोजेक्ट को रोका जाए और जंगलों को कटने से बचाया जा सके।