बालको के भटगांव में हरेली तिहार की धूम, पारंपरिक कृषि उपकरणों की किसानों ने की विशेष अर्चना
नमस्ते कोरबा :- छत्तीसगढ़ की परंपरा और हरियाली के प्रतीक पर्व हरेली तिहार की रंगत इस बार बालको के भटगांव में पूरे उत्साह और उल्लास के साथ नजर आई। गांव की गलियों से लेकर खेतों की मेंड़ों तक, हरेली की हरियाली ने पूरे वातावरण को भक्तिमय और उल्लासमय बना दिया।
हरेली के दिन किसानों ने अपने परंपरागत कृषि उपकरणों की विधिवत पूजा-अर्चना कर खेती-किसानी में समृद्धि की कामना की। बैल, हल, गैंती, कुदाली जैसे औजारों को सजाया गया और उनके आगे श्रद्धा के फूल चढ़ाए गए।
गाँव के युवाओं ने गेंड़ी पर चढ़कर उत्सव का हिस्सा बनते हुए पारंपरिक खेलों और लोकगीतों के माध्यम से सांस्कृतिक विरासत को संजोया। वहीं महिलाओं ने फुलझड़ी और सुआ गीतों से घर-आंगन को गुंजायमान कर दिया।
हरेली तिहार न केवल कृषि संस्कृति का उत्सव है, बल्कि यह प्रकृति, पशुधन और मेहनतकश किसान के बीच आत्मीय संबंध का प्रतीक भी है। भटगांव में आयोजित हरेली कार्यक्रमों ने इस परंपरा को जीवंत कर दिया।
गांव के बुजुर्गों ने भी बच्चों को परंपरा से जोड़ने के लिए कथा-कहानियों के माध्यम से हरेली का महत्व बताया, जिससे नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़े रखने की प्रेरणा मिली।
सच कहा जाए तो भटगांव की हरेली इस बार केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन की तरह रही, जिसने मिट्टी, मेड़ और मेहनत से रिश्ता और भी मजबूत कर दिया।
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