मिस्टर इंडिया से लेकर ‘गलत नरेंद्र’ तक भाजपा नियुक्तियों में खुशी, नाराजगी और भ्रम का अनोखा संगम
नमस्ते कोरबा :- भारतीय जनता पार्टी में इन दिनों नियुक्तियों का मौसम चल रहा है। संगठन से लेकर उसके अनुषंगी मोर्चों और प्रकोष्ठों तक पदों की बौछार है। ऐसे में खुशी की मिठास बंटना स्वाभाविक है, लेकिन राजनीति में हर मिठाई के साथ थोड़ी कसैली चाशनी भी घुली रहती है और यही इस दौर की सबसे बड़ी सच्चाई बनकर उभरी है।

जिसे पद मिला वह और उसके समर्थक गदगद हैं। जिन्हें उम्मीद थी और सूची से नाम गायब मिला, उनके चेहरे पर मुस्कान के बजाय सवाल हैं। संगठन भले ही कहे कि नियुक्तियां संतुलित और हर वर्ग को ध्यान में रखकर की गई हैं, लेकिन भीतरखाने यह चर्चा थमने का नाम नहीं ले रही कि कुछ ऐसे चेहरे भी नवाजे गए, जिन पर चुनावी दौर में भीतरघात या खुलाघात के आरोप रहे। वहीं कई ऐसे समर्पित कार्यकर्ता, जिन्होंने पार्टी की साख और सत्ता तक की यात्रा में पसीना बहाया, आज खुद को हाशिए पर खड़ा महसूस कर रहे हैं।
असंतोष खुलकर सामने भले न आए, लेकिन ‘बिना नाम लिए’ चर्चाओं में उसकी गूंज साफ सुनाई देती है। आरोप यही कि नियुक्तियों का दायरा कुछ चुनिंदा लोगों के इर्द-गिर्द सिमट गया। संगठन इसे बड़े परिवार की सामान्य खटपट बताकर टाल रहा है, पर सवाल अपनी जगह कायम हैं।
इसी बीच नियुक्तियों की सूची ने राजनीति के साथ-साथ व्यंग्य को भी जन्म दे दिया। अजा मोर्चा में सोशल मीडिया प्रभारी के रूप में सामने आया “श्री मिस्टर इंडिया” नाम चर्चा का केंद्र बन गया। पार्टी के भीतर ही लोग चुटकी ले रहे हैं,यह सचमुच नाम है या फिर कागज पर चढ़ गया कोई प्रचलित संबोधन? राजनीति गंभीर हो सकती है, लेकिन ऐसी चूक उसे हल्का व्यंग्य जरूर बना देती है।

और फिर आई वह घटना जिसने इस नियुक्ति दौर को सबसे दिलचस्प मोड़ दिया,बधाई पहले, पुष्टि बाद में। बुनकर प्रकोष्ठ के प्रदेश सहसंयोजक पद पर नरेंद्र देवांगन के नाम की घोषणा हुई। कोरबा में मिठाइयां बंटने लगीं, बैनर-फ्लेक्स सज गए, सोशल मीडिया बधाइयों से पट गया। मगर जल्द ही स्पष्ट हुआ कि नियुक्ति रायपुर निवासी नरेंद्र देवांगन की है। नाम समान था, पद किसी और का और बधाई किसी और को मिल गई। शायद यह पहली बार हुआ जब बिना पद पाए भी मिठाईयां और शुभकामनाएं भरपूर बंट गईं।

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