Weekend special:वीकेंड का असली तोहफ़ा,थोड़ा वक़्त ख़ुद के लिए
नमस्ते कोरबा :- सप्ताह भर की भागदौड़ के बाद जब रविवार की सुबह आती है तो हम सोचते हैं,“अब तो चैन मिलेगा।” पर हकीकत में क्या होता है? अलार्म नहीं बजता पर जिम्मेदारियों की आहट हमें उठा देती है। बच्चों के स्कूल का होमवर्क,घर की सफाई, बाज़ार की लिस्ट,ऑफिस से अधूरे मेल और फिर रिश्तेदारों के कॉल,ये सब मिलकर हमें कभी सच में सांस लेने का मौका ही नहीं देते।
और रविवार की रात होते-होते अक्सर यही लगता है कि ये दो दिन भी बस औरों के लिए बीत गए,पर खुद के लिए क्या किया?
ज़रा ठहरकर सोचिए। पिछली बार आपने अपने लिए सचमुच कुछ किया था,वो कब था? जब बिना किसी काम की वजह से आपने सिर्फ अपने लिए चाय बनाई हो, जब बिना किसी जल्दी के आपने आसमान को देखा हो या जब बिना किसी दबाव के आपने दिल से हंसी हंसी हो। शायद याद करने में भी वक्त लग जाए
हम सबके अंदर कहीं न कहीं वो बच्चा अभी भी जिंदा है, जिसे रंग भरना अच्छा लगता है, जिसे बारिश में भीगना पसंद है, जिसे बिना वजह गाना गुनगुनाना अच्छा लगता है। मगर हफ्ते की दौड़-धूप में वो बच्चा कोने में दब जाता है। वीकेंड उसी बच्चे को जगाने का नाम है। सोचिए अगर ये दो दिन भी हम सिर्फ कामों की लिस्ट में गवा देंगे तो ज़िंदगी कब जी पाएंगे?
कितनी बार हमने सोचा होगा“कभी मौका मिलेगा तो गिटार बजाऊंगा… पेंटिंग करूंगा… पुरानी डायरी खोलकर लिखूंगा।” लेकिन वो “कभी” कभी आता ही नहीं।
इसलिए इस बार वीकेंड पर खुद से एक छोटा वादा कीजिए,कम से कम एक घंटा सिर्फ अपने लिए होगा। उस एक घंटे में कोई काम नहीं, कोई मोबाइल नहीं, सिर्फ आप और आपकी खुशी। याद रखिए खुद को समय देना स्वार्थ नहीं है, बल्कि वही ताक़त है, जो हमें औरों के लिए बेहतर बनाती है। तो इस वीकेंड, घर और दफ़्तर की लिस्ट के साथ एक नई लिस्ट बनाइए खुशियों की लिस्ट।
कल्पना कीजिए आप बालकनी में चाय पी रहे हैं, हाथ में पुरानी किताब, हल्की हवा और आपके अपने विचार। कैसा लगेगा?
याद रखिए, खुद को समय देना स्वार्थ नहीं है, बल्कि वही ताक़त है जो हमें औरों के लिए बेहतर बनाती है।आज ही अपनी डायरी में लिखिए इस वीकेंड आप अपने लिए क्या करेंगे। फिर रविवार की रात देखें कि ये पल आपको कितना खास महसूस कराते हैं।
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