Monday, June 16, 2025

देश-दुनिया में खुशहाली, अमन -चैन और भाई-चारे की ख्वाहिश लिए रमजान के पाक महीने में इबादत की कठिन राह पर चल रहे नन्हें-मुन्ने बच्चे

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देश-दुनिया में खुशहाली, अमन -चैन और भाई-चारे की ख्वाहिश लिए रमजान के पाक महीने में इबादत की कठिन राह पर चल रहे नन्हें-मुन्ने बच्चे

नमस्ते कोरबा  :- माह-ए-रमजान:- इबादत की जानमाज में, दुआओं में उठ रहे नन्हें हाथ, देश-दुनिया में खुशहाली, अमन -चैन और भाई-चारे की ख्वाहिश लिए रमजान के पाक महीने में इबादत की कठिन राह पर चल रहे नन्हें-मुन्ने बच्चे।

कहते हैं कि भलाई के लिए मांगी गई वह हर दुआ कुबूल होती है, जो सच्चे मन और नेकनीयत से मांगी जाए। भला मासूमियत से भरे निश्छल-कोमल मन वाले नन्हें-मुन्ने बच्चों के दिल से पाकीजा और क्या हो सकता है। रमजान के पाक महीने में नन्हें रोजेदारों ने भी इबादत की राह चुनी है। बड़े साहस और धीरज के साथ रोजा रख रहे इन बच्चों ने कहा कि इफ्तार के समय दुआ मांगते हैं। उस समय की दुआ कबूल होती है। उन्होंने दो जहां के मालिक से सबके लिए खैर और दुनिया में अमन-चैन की बरकत देने की दुआ मांगी है।

रमजान का रोजा बड़ों के साथ-साथ मासूम बच्चे भी रख रहे हैं। कई बच्चों की जिंदगी का यह पहला रोजा है। अप्रैल महीने की 40 डिग्री से ऊपर की गर्मी और तपती धूप से बेपरवाह बच्चों ने अल्लाह और उसके रसूल की रजा हासिल करने के लिए भूख और प्यास की शिद्दत बर्दाश्त कर पूरी दुनिया में शान्ति और खुशहाली की दुआ की। पुरानी बस्ती के धनुहार पारा में रहने वाले मोहम्मद रेहान के महज 11 साल के पुत्र मोहम्मद फैजान ने भी रोजा रखा है। इसी तरह पुरानी बस्ती के ही हाजी इमरान अंसारी व श्रीमती शीरी अंसारी के सात साल के पुत्र मोहम्मद अली अंसारी ने पहली बार रोजा रखा है। अली की 10 साल की बहन नूर फातिमा भी रोजा रख रही है। नूर छह वर्ष की आयु से ही रोजा रखती आ रही है। ये मासूम अल्लाह की मोहब्बत में रोजा रखकर उनकी इबादत कर रहे हैं। वहीं रानी गेट के पास रहने वाले व्यवसायी फिराज मेमन व श्रीमती अमरीन मेमन के 12 साल के पुत्र रेहान मेमन रोजा रखकर खुदा से अमन-चैन की दुआ कुबूल करने की भरपूर कोशिशों में जुटे हैं। उनके पिता फिराज के मुताबिक उनके पुत्र रोजा रख अल्लाह की इबादत कर रहे हैं, इस तरह उसे तन और मन की शुद्धि खुद हासिल करने का सबक भी सीखने को मिल रहा है।

छह साल की उम्र से रोजा रख रही है नूर
10 साल की नूर फातिमा का कहना है कि पिछले चार वर्ष से रोजा रख रही हूं। इस साल रमजान में धूप और तपिश काफी है। पहले इफ्तार के समय सिर्फ पानी पीने का दिल करता था, जबकि ऊपर वाले की रहमत से हर बार मन और ज्यादा मजबूत महसूस करता है। रमजान आसानी से गुजर रहा है। नूर ने कहा कि अल्लाह तआला हम सभी को अमन और सुकून प्रदान करें। उसके पिता हाजी इमरान अंसारी ने कहा कि नूर आसानी से रोजा रख ले रही हैं। इफ्तार के समय दुआ मांगते हैं। उनका कहना है उस समय की दुआ कबूल होती है।

मुझे रमजान का इंतजार रहता है:- रेहान
रेहान का कहना है कि मुझे रमजान का इंतजार रहता है। रमजान में रोजा रखकर इबादत करने का सवाब बहुत है। इसलिए मैं माह-ए-रमजान की कद्र करता हूं। इससे अल्लाह खुश होते हैं। इफ्तार के वक्त दुआ करूंगा कि या अल्लाह दुनिया से अशांति खत्म कर अमन और भाईचारे के उपहार से भर दे। उसके पिता फिराज का कहना है कि बच्चे बड़ों से ही अल्लाह रसूल की बातें सुनते हैं, जिसका असर ही है, जो रेहान इबादत की राह पर है।

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