Wednesday, March 12, 2025

छेरछेरा पर्व आज,दान देने और लेने का महत्व है खास,गली-गली में गूंज रहा – ‘छेरछेरा..माई कोठी के धान ल हेरहेरा”

Must Read

छेरछेरा पर्व आज,दान देने और लेने का महत्व है खास,गली-गली में गूंज रहा – ‘छेरछेरा..माई कोठी के धान ल हेरहेरा”

नमस्ते कोरबा:- आज गुरुवार 25 जनवरी को छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का लोकपर्व छेरछेरा (cher chera festival) मनाया जा रहा है। यह अन्न दान का महापर्व है। छत्तीसगढ़ में यह पर्व नई फसल के खलिहान से घर आ जाने के बाद मनाया जाता है। प्रतिवर्ष यह पर्व पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) के दिन खास तौर पर मनाया जाता है। यह पर्व कृषि प्रधान संस्कृति में दानशीलता की परंपरा को याद दिलाता है।

दान देने और लेने की अनूठी परंपरा का नाम ही छेरछेरा है। दान-धर्म को बढ़ावा देने के लिए इस पर्व की शुरूआत खासकर छत्तीसगढ़ में हुई, इसे लेकर अनेक किवदंती और मान्यताएं हैं। छेरछेरा मांगने और देने के क्रम में कोई छोटा-बड़ा का भाव नहीं होता है। यह ऐसा पर्व है,जिसमें गांव का गौटिया भी मांगता है और मजदूर भी मुक्त हस्त से अन्न्दान करते हैं।

Read more:-कोरबा पुलिस के द्वारा 26 जनवरी को *रोड सेफ्टी बाइक* रैली का आयोजन

छत्तीसगढ़ की इस अनूठी परंपरा को आज भी गांव के लोग जीवित रखे हैं। संचार के आधुनिक साधनों ने लोकपर्वों की अमिट छाप को नि:संदेह क्षति पहुंचाया है,फिर भी गांवों में इस पर्व का खास महत्व और उत्साह आज भी देखने को मिलता है।

बच्चे-बड़े सभी के जुबां पर एक ही स्वर होता है- ‘छेरछेरा..माई कोठी के धान ल हेरहेरा”। इसके साथ ही ‘अरन-बरन कोदो दरन, जभे देबे तभे टरन” का स्वर भी अधिकारपूर्वक मांगने को प्रदर्शित करता है।

- Advertisement -

सब्सक्राइब करें नमस्ते कोरबा न्यूज़ YOUTUBE चैनल

4,220SubscribersSubscribe
Latest News

कोरबा के इस गांव में पुरानी धारणा के चलते पिछले  150 साल से नहीं मनी होली,क्या है वजह देखें इस खास खबर में 

कोरबा के इस गांव में पुरानी धारणा के चलते पिछले  150 साल से नहीं मनी होली,क्या है वजह देखें...

More Articles Like This

- Advertisement -