भारत माँ की रसोई,3283 दिनों से जारी मानवता की मिसाल,छत्तीसगढ़ हेल्प वेलफेयर सोसायटी की अनूठी पहल,
नमस्ते कोरबा : मानवता तब जीवित रहती है जब कोई भूखे को भोजन और दुखी को सहारा देता है। इसी सोच को हकीकत में बदल रही है छत्तीसगढ़ हेल्प वेलफेयर सोसायटी की अनूठी पहल “भारत माँ की रसोई”। 15 अगस्त 2016 से शुरू हुई यह सेवा आज लगातार 3283वें दिन भी बिना रुके जारी है, और हर शाम लगभग 200 से 300 जरूरतमंदों के चेहरे पर तृप्ति की मुस्कान बिखेर रही है।
इस रसोई की खासियत यह है कि यहाँ भोजन लेने वालों में कोई भेदभाव नहीं होता।जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों को शाम 7:30 बजे गरमा-गरम, ताजा भोजन परोसा जाता है ताकि वे भूख और भटकाव के बीच परेशान न हों। चाहे तपती धूप हो, बरसते बादल हों या ठंडी हवाएँ,रसोई का चूल्हा रोज समय पर जलता है।
संस्था के अध्यक्ष राणा मुखर्जी कहते हैं,
किसी की भूख मिटाना, भगवान की सबसे बड़ी पूजा है। हमारा प्रयास है कि किसी को भी इस शहर में भुखे पेट सोना न पड़े। यह सेवा सिर्फ रोज़ का भोजन ही नहीं, बल्कि लोगों को अपने खास अवसरों पर भी दूसरों की मदद का मौका देती है। चाहे जन्मदिन हो, शादी की सालगिरह या किसी प्रिय की स्मृति,लोग यहाँ आकर भोजन वितरण कर सकते हैं,
संस्था के सहयोगी अविनाश दूबे बताते हैं कि
जब किसी के हाथों से किसी भूखे को निवाला मिलता है, तब उसकी खुशी शब्दों में बयान नहीं की जा सकती। यही इस सेवा की असली ताकत है।यह रसोई हर दिन यह याद दिलाती है कि भूख सिर्फ पेट की नहीं होती, यह आत्मा की भी होती है,और इसे तृप्त करने के लिए सिर्फ रोटी नहीं, बल्कि दिल का टुकड़ा परोसना पड़ता है।
भारत माँ की रसोई न सिर्फ भूख मिटा रही है, बल्कि यह साबित कर रही है कि सच्ची देशभक्ति सिर्फ झंडा लहराने में नहीं, बल्कि इंसानियत का झंडा ऊँचा रखने में है।
हेल्पलाइन नंबर: 8878447777
अविनाश दूबे: 7999496533
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