बालकों का आजाद चौक 16 साल बाद भी पहचान को तरसा,शहीद की प्रतिमा उपेक्षा की शिकार
नमस्ते कोरबा :- आज़ादी के अमर सेनानी शहीद चंद्रशेखर आज़ाद के नाम पर 08 सितम्बर 2009 को जिस चौक का नामकरण “आज़ाद चौक” किया गया था, वह आज उपेक्षा और बदहाली की मिसाल बना हुआ है। तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह, गृहमंत्री ननकीराम कंवर,मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, महापौर लखनलाल देवांगन, विधायक जयसिंह अग्रवाल और सभापति अशोक चावलानी की उपस्थिति में जिस प्रतिमा का अनावरण हुआ था,वही प्रतिमा आज जर्जर हालत में खड़ी है।
प्रतिमा और चौक की स्थिति ऐसी है कि स्थानीय नागरिकों को भी शायद ही पता हो कि यह स्थान “आज़ाद चौक” कहलाता है। उद्घाटन के समय की चमक-धमक के बाद नगर निगम ने मानो यहां कदम ही नहीं रखा। सफाई, रख-रखाव और सौंदर्यीकरण के नाम पर स्थिति बेहद शर्मनाक है।
“सिर्फ शिलापट्ट और भाषणों तक सिमटा सम्मान”
सामाजिक कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता अब्दुल नफीस खान ने इस चौक की दुर्दशा का वीडियो जारी करते हुए सवाल उठाया है,क्या हमारे शहीदों का सम्मान सिर्फ कागज़ों और पट्टिकाओं तक सीमित रह गया है? उन्होंने कहा कि यह उपेक्षा सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि शहीद का अपमान है। खान ने इस मामले को जन शिकायत निवारण विभाग में भी ऑनलाइन दर्ज कराया है।

सवालों के घेरे में नगर निगम
जनता का सवाल साफ है,क्या नगर निगम की जिम्मेदारी प्रतिमा लगवाने तक ही थी? 16 साल बाद भी चौक का नाम और प्रतिमा की पहचान धुंधली हो चुकी है। जिन नेताओं के नाम उद्घाटन पट्टिका में दर्ज हैं, वे आज राष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखते हैं, लेकिन यह चौक अब भी अपनी पहचान खोज रहा है।
“आज़ाद चौक” बने बालको की पहचान
स्थानीय लोग अब इस चौक के पुनर्नवीनीकरण की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि “आज़ाद चौक” को बालको नगर की पहचान के रूप में विकसित किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को शहीद चंद्रशेखर आज़ाद के बलिदान और आदर्शों की सही पहचान मिल सके।
शहीदों का सम्मान औपचारिकता नहीं,हमारी जिम्मेदारी है।
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