आपको भी ठग सकते हैं ‘AI वाले फूफा-मामा’,साइबर ठगों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फेस स्वैपिंग से वीडियो कॉल कर लोगों को ठगना शुरू किया
नमस्ते कोरबा :- आज के समय में टेक्नोलॉजी का विस्तार काफी ज्यादा हो गया है. रोजमर्रा की जरूरतों को आसान बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने के नए-नए तरीकों की खोज की जा रही है. पर यह टेक्नोलॉजी हमारे लिए फायदे के साथ-साथ नुकसान भी दे रहा है.
ऐसी ही एक टेक्नोलॉजी है फेस स्वाइप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जिसका साइबर ठग लोगों को चूना लगाने के लिए कर रहे हैं. साइबर अपराधी पहले आवाज बदलकर आपके रिश्तेदारों को फोन कर उनसे पैसों की मांग कर यूपीआई आईडी के जरिए अपने खाते में डलवा रहे थे. अब साइबर ठगों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फेस स्वैपिंग से वीडियो कॉल कर लोगों को ठगना शुरू कर दिया है.
डीपफेक इमेज और वीडियो टूल से ऑनलाइन फ्रॉड
दुनिया भर के लोग अपने जीवन को आसान बनाने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. नए-नए तरीके खोज कर तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे ही एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)टेक्नोलॉजी भी है. इस टेक्नोलॉजी को एक क्रांति के रूप में देखा जाता है, लेकिन साइबर अपराधियों ने इस तकनीक का गलत इस्तेमाल करना भी शुरू कर दिया है.
डीपफेक इमेज और वीडियो टूल ऑनलाइन फ्रॉड का एक बड़ा जरिया बन गया है. जिसके चलते साइबर फ्रॉड के मामले बढ़ते जा रहे हैं.
कैसे होती है फेस स्वैपिंग?
दरअसल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फेस स्वैपिंग से ठग आपके सोशल मीडिया अकाउंट से आपके फोटो या वीडियो से आपके फेस की हूबहू कॉपी करते हैं. जिसके बाद सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके आपके जानकार या रिश्तेदारों को इमरजेंसी फोन कॉल करते हैं. सामने वाले को ऐसी इमरजेंसी बताएंगे कि वो तुरंत पैसे ट्रांसफर करेगा.
ठगी से कैसे बचें?
किसी भी नए नंबर से आपके सगे संबंधी की आवाज में फोन आए तो भी आप ठगी का शिकार हो सकते हैं. अगर आप किसी भी प्रकार की साइबर ठगी का शिकार हो चुके हैं तो तुरंत ही बिना सोचे समझे अपने नजदीकी साइबर थाने में पहुंचे. नहीं तो तुरंत ही 1930 पर कॉल करें. पूरे देश में यही साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर है.
कैसे पहचानें डीपफेक स्कैम
कॉलर की आवाज थोड़ी बदली हुई होगी.कॉलर आपसे पर्सनल और जरूरी जानकारी मांगेगा.कॉलर पैसों की मदद मांगेगा या कुछ अलग बर्ताव करेगा.अगर आप कॉल वेरिफाई करने के लिए सवाल पूछेंगे तो आपको सही जवाब नहीं देगा.
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