नारी शक्ति, भक्ति और संस्कार का महासंगम, 3100 महिलाओं के महामंगल पाठ से अमर हुआ उत्सव
नमस्ते कोरबा :- ऊर्जा नगरी कोरबा रविवार को केवल एक शहर नहीं बल्कि आस्था, संस्कार और संस्कृति का जीवंत तीर्थ बन गई। अवसर था श्री नारायणी नमो नमो भजनों उत्सव एवं महामंगल पाठ के भव्य समापन का, जहां 3100 माताओं द्वारा एक साथ किए गए सामूहिक महामंगल पाठ ने हर हृदय को श्रद्धा से भर दिया। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो दादी जी स्वयं अपने भक्तों के बीच विराजमान होकर सब पर कृपा बरसा रही हों।
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भजन गायक एवं मंगल पाठ वाचक केशव मधुकर,सौरभ मधुकर के सानिध्य में जब संगीतयमय मंगल पाठ का वाचन प्रारंभ हुआ तो पूरा परिसर भक्ति की तरंगों में डूब गया। शंख, घंटियों और भजनों की मधुर ध्वनि के बीच हजारों कंठों से निकली प्रार्थनाएं सीधे आत्मा को स्पर्श कर रही थीं। श्रद्धालु भाव-विभोर होकर दादी जी के चरणों में नतमस्तक दिखाई दिए।
महामंगल पाठ के दौरान दादी जी को सवामणि एवं छप्पन भोग अर्पित किए गए। साथ ही प्रस्तुत की गई भव्य एवं मनोहारी झांकियों ने भक्ति, संस्कृति और परंपरा के अद्भुत समन्वय को सजीव कर दिया। चुनरी समर्पण के भावुक क्षणों में श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा, वहीं बारह महीनों के त्योहारों का प्रतीकात्मक मंचन राजस्थान की लोकसंस्कृति की आत्मा को मंच पर उतार लाया।
जश्न रिसोर्ट का पूरा परिसर राजस्थानी रंग में रंगा नजर आया। पारंपरिक परिधानों में सजी महिलाएं और पुरुष जब भजनों की धुन पर लयबद्ध दिखाई दिए, तो दृश्य अत्यंत अलौकिक लग रहा था। दोपहर 3 बजे आरंभ हुआ महा मंगल पाठ देर रात तक चलता रहा, लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था और ऊर्जा में कहीं भी कमी नहीं दिखी।
यह आयोजन केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं बल्कि नारी शक्ति, सामूहिक साधना और सांस्कृतिक एकता का अनुपम उदाहरण बनकर उभरा। समापन अवसर पर आयोजकों ने जानकारी दी कि 40वां श्री नारायणी नमो नमो उत्सव अब उड़ीसा के राउरकेला में आयोजित होगा, जहां दादी जी की कृपा से भक्ति का यह कारवां आगे बढ़ेगा।
कोरबा ने इस आयोजन के माध्यम से यह सिद्ध कर दिया कि जब भक्ति में भाव जुड़ जाए, तो साधना उत्सव बन जाती है और उत्सव इतिहास।
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