25 वर्षो से यहां के लोग करते हैं भगवान भोले शंकर की अनोखी आराधना जो रहता है आकर्षण का केंद्र,भगवान राम ने पहली बार की थी इस प्रकार से शिवलिंग की पूजा
नमस्ते कोरबा :- सावन के पवित्र महीने में देशभर की शिवालयों में भगवान भोले शंकर के भक्तों का तांता लगा हुआ है. भक्त बड़ी श्रद्धा से अपने आराध्य को जल अर्पित करने मंदिरों में पहुंच रहे हैं. सावन माह के दौरान देश में भगवान शिव के विभिन्न रूपों की पूजा पाठ की जाती है. ऐसा ही एक नजर कोरबा जिले के मुख्य शहर के बीच देखने को मिला जहां भक्तों ने बड़े ही श्रद्धा से भगवान भोले शंकर की शिवलिंग बनाकर पूजा कर रहे हैं. खास बात यह है कि भक्तों द्वारा इस शिवलिंग का रेत से निर्माण किया गया है और लगभग 25 वर्षों से यह परंपरा निभाई जा रही है.कोरबा जिले में पवन टाॅकिज रेल्वे क्राॅसिंग के पास ओव्हर ब्रिज के नीचे लोगों के द्वारा रेत का शिवलिंग बनाकर पूजा अनुष्ठान किया जा रहा है. इस स्थान पर आसपास के लोग भगवान भोलेनाथ की पूजा करने पहुंचते हैं. पिछले 25 सालों से इसी तरह शिवलिंग बनाया जाता है और पूरे सावन माह पूजा पाठ किया जाता है. सावन माह की समाप्ती के पश्चता शिवलिंग का विसर्जन कर दिया जाता है.
हिंदू धर्म में भगवान शिव को कल्याण का देवता माना गया है. जिनकी साधना के लिए सावन महीना शुभ माना गया है. ऐसे में भोले के भक्त अपने आराध्य महादेव की तमाम तरह से पूजा करके उनको प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं. कोई उनके साकार स्वरूप यानि मूर्ति की पूजा करता है तो कोई उनके निराकार स्वरूप यानि शिवलिंग की पूजा करता है. सनातन परंपरा में अलग-अलग प्रकार के शिवलिंग की पूजा के अलग-अलग फल बताए गए हैं.मान्यता है कि भगवान शिव का पार्थिव पूजन सबसे पहले भगवान राम ने किया था. भगवान श्री राम ने लंका पर कूच करने से पहले समुद्र के किनारे रेत का शिवलिंग बनाया और उसकी पूजा की. आज उस स्थान स्थान का नाम रामेश्वरम है.







