
बुड़बुड़ खान प्रबंधन की मनमानी प्रारंभ से ही जग जाहिर है जहां अपनी हरकतों से बाज नही आने वाले अधिकारी प्रतिबंध के बावजूद हैवी ब्लास्टिंग को अंजाम दे रहे है।लक्ष्य से काफी पीछे चल रहे खदान से उत्पादन बढ़ाने की जल्दबाजी से ऐसा धमाका किया जा रहा है कि ब्लास्टिंग से प्रभावित आसपास क्षेत्र के लोग फिर से दहशत में आ गए है जहां कराए जा रहे 250 होल के तीव्रता वाले विस्फोट से घरों में गहरी दरारें आने लगी है तो बोर, कुंआ भी धसकने लगा है।जबकि 100 से 120 होल का सामान्य ब्लास्टिंग किया जाना निर्धारित है।किंतु अपने मंसूबे को पूरा करने वाले अधिकारी हैवी ब्लास्टिंग से होने वाले नुकसान को लेकर जरा भी गंभीर नही है।जबकि पुरातत्व विभाग सहित जिला प्रशासन द्वारा स्पष्ट निर्देश के तहत हैवी ब्लास्टिंग पर पूर्णतः रोक है लेकिन पता नही एसईसीएल के अधिकारी अपने आप को क्या समझते है जो सारे नियम- कानून की धज्जियां उड़ाते हुए मनमानी करने में जरा भी झिझक नही कर रहे है।इनके इसी मनमानी का पुरजोर विरोध करते हुए कोरबा सांसद प्रतिनिधि एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संयुक्त महासचिव प्रशांत मिश्रा द्वारा बीते फरवरी माह में प्रबंधन के खिलाफ अपराध दर्ज कर हैवी ब्लास्टिंग पर तत्काल रोक लगाने संबंधी शिकायत दी गई थी जिससे हड़बड़ाए एसईसीएल प्रबंधन की ओर से पर्यावरण अथवा अन्य किसी को बिना क्षति या नुकसान पहुँचाए निर्धारित मापदंड के अनुसार कोयला उत्खनन कार्य किये जाने का पत्रव्यवहार के माध्यम से श्री मिश्रा को भरोसा दिलाया गया था।लेकिन अड़ियल अधिकारी मानो भैंस के आगे बिन बजाए- भैंस खड़ी पोगराए की कहावत को चरितार्थ करते हुए हैवी ब्लास्टिंग की पुनरावृत्ति में लगे हुए है।जिससे संचालित खदान के आसपास का रहवासी क्षेत्र भूकंप के झटके जैसा फिर थर्राने लगा है।जहां लोगों को होने वाले क्षति के साथ ऐतिहासिक एवं पुरातत्विक पाली शिवमंदिर के अस्तित्व पर भी खतरा बना हुआ है।मनमानीपूर्वक कार्य को अंजाम देने वाले बुड़बुड़ खदान के अधिकारियों पर ठोस कार्यवाही की आवश्यकता है तभी इनके क्रियाकलापों में सुधार आ पाएगा अन्यथा यह क्रम चलता ही रहेगा जिसका खामियाजा स्थानीय आमजनों को भुगतते रहना पड़ेगा।