
नमस्ते कोरबा :- शहर में लगी महापुरुषों की प्रतिमाएं जिले के सम्मान का प्रतीक हैं। हर चौक-चौराहों में किसी न किसी महापुरुष की प्रतिमा लगी है, हम सभी को उनके कार्यों और बलिदानों को याद कराती हैं। महापुरुषों की प्रतिमाओं की दुर्दशा को देखकर गौरवान्वित होने की बजाय शर्मिंदगी महसूस होती है। शायद अपने प्रतिमाओं की दशा को देखकर समाज और देश की खातिर अपना सब कुछ समर्पित करने वाले, महापुरुषों की आत्मा भी यह सोचने को मजबूर हो जाए कि, आखिर उन लोगों ने किस समाज-व्यवस्था की कल्पना को जेहन में रखकर लड़ाई लड़ी थी,

हर साल नगर निगम के बजट में शहर की संपत्तियों के सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों रुपये आबनटित किए जाते हैं, बावजूद इसके जिले के चौक-चौराहों पर स्थापित मूर्तियों की दशा बेहाल है,समय रहते देखरेख और सुरक्षा नहीं की गई तो, आने वाले दिनों में शहर में स्थापित प्रतिमाएं पूरी तरह से जर्जर और खंडित हो सकती हैं।इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि यह शहर की संस्कृति को भी दर्शाता है। इसकी सुरक्षा की जितनी जिम्मेदारी प्रशासन और निगम की है, उतनी ही शहरवासियों की भी है।शहर को सुंदर बनाने और संस्कृति से लोगो को जोड़ने के लिए प्रशासन और नगर निगम के द्वारा, शहर और प्रमुख वार्डों में महापुरुषों और देश की आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाले शहीदों की प्रतिमाएं लगाई गई हैं,ताकि लोग उनके बारे में जान सकें,प्रेरणा ले सकें,परंतु देखरेख के अभाव और साफ सफाई नहीं करने से मूर्ति खराब हो रही है।
