बरसात के मौसम में गरीबों के मकान तोड़ने, दुकानदारों को बेदखल करने से क्षेत्र में जन आक्रोश व कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका,पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने जिला प्रशासन की जवाबदेही से आगाह कराते हुए मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
नमस्ते कोरबा : कोरबा अंचल में जिला प्रशासन द्वारा जनहित के कार्यों के प्रति उदासीनता बरतने और गरीबों के मकान तोड़कर बरसात के मौसम में उन्हें बेघर करने, बालकोनगर वार्ड 45 परसाभाठा के 39 दुकानदारों को बेदखल करने तथा कोरबा पुराना बस स्टैण्ड स्थित गीतांजली काॅम्प्लेक्स के दुकानदारों की लीज निरस्त करने की धमकी देने के साथ ही कुसमुण्डा खदान प्रबंधन की वादा खिलाफियों से त्रस्त प्रभावित भू-विस्थापित परिवारों द्वारा मजबूर होकर किए गए प्रदर्शन को गंभीरता से लेते हुए पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कोरबा जिला प्रशासन की कार्यशैली के संबंध में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का पत्र लिखा है।
हर बार बैठकों के बाद केवल आश्वासन, स्थायी समाधान का पता नहीं, जिला प्रशासन को केवल प्रबंधन के हितों की चिंता।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में जयसिंह अग्रवाल ने कोरबा के विभिन्न क्षेत्रों की गंभीर स्थिति से अवगत कराते हुए लिखा है कि बरसात के मौसम में विगत दिनों जिला प्रशासन द्वारा बलपूर्वक इमलीछापर के 11 मकानों को तोड़ दिया गया। उस समय उन लोगों ने बरसात तक रूकने की मोहलत मांगी थी जिसे जिला प्रशासन ने अनसुना कर दिया। मकान तोड़ने के बाद आज तक उन्हें कोई वैकल्पिक व्यवस्था दी गई और न ही मुआवजा राशि का भुगतान किया गया है। श्री अग्रवाल ने मांग किया है कि जिस तरह सुनालिया ब्रिज के पास प्रस्तावित अण्डर ब्रिज की जद में आने वाले मकान मालिकों को डीएमएफ मद से उदारतापूर्वक मुआवजा राशि का भुगतान किया गया है उसी प्रकार इमलीछापर में तोड़़े गए मकानों के लिए भी मुआवजा का भुगतान तत्काल किया जाना चाहिए।
कोरबा शहर की गंभीर यातायात समस्या के समाधान हेतु लगभग 5 साल पहले स्वीकृत हुए नया परिवहन नगर बनाने हेतु आज तक पहल नहीं कर सका जिला प्रशासन।
पत्र में आगे लिखा गया है कि कोरबा की गंभीर यातायात समस्या का पूर्वानुमान लगाते हुए उनके कार्यकाल में परिवहन नगर को बरबसपुर में स्थानांतरित करने की शासन से स्वीकृति प्राप्त हो चुकी थी लेकिन वह कार्य भी ठंडे बस्ते में पड़ा है। इसी प्रकार बरमपुर से दर्री बराॅज तक 8 किलोमीटर टू-लेन सीसी रोड बनाने के लिए एसईसीएल से 83 करोड रूपये स्वीकृत करवाए गए थे और जिला प्रशासन के पास एसईसीएल द्वारा फरवरी 2023 में ही प्रथम किस्त के तौर पर फण्ड जमा करा दिया गया। आज तक जिला प्रशासन उसकी निविदा प्रक्रिया भी आरंभ नहीं करवा सका। यदि ये दोनो कार्य समय रहते हो जाते तो आज कोरबा की यातायात संबंधी गंभीर समस्या दूर हो गई होती।
अपने हक के लिए त्रस्त होकर अर्ध नग्न अवस्था में प्रदर्शन हेतु मजबूर भू-विस्थापित परिवार की महिलाएं, प्रबधन की हित साधना में उद्यत जिला प्रशासन।
एसईसीएल प्रबंधन की कोयला खदानों से प्रभावित भू-विस्थापितों द्वारा रोजगार और उचित मुआवजा राशि के भुगतान के लिए आए दिन प्रदर्शन, चक्का जाम आदि किया जाता है जिसके लिए जिला प्रशासन की मध्यस्थता में बैठकें होती हैं और हर बार आश्वासन देकर उन्हे टाल दिया जाता है। 18 जुलाई को त्रस्त होकर प्रभावित परिवारों की महिलाओं द्वारा जिस तरीके से प्रदर्शन किया गया वह बहुत ही शर्मनाक बात है और जिला प्रशासन व एसईसीएल प्रबंधन पर अनेक सवालिया निशान लगाते है क्योंकि हर बार बैठक में उन्ही के द्वारा आश्वासन दिए जाते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जिला प्रशासन भू-विस्थापितों के लिए नहीं वरन् प्रबंधन के हितों की ज्यादा चिंता करता है।
बरमपुर से दर्री बराॅज तक सडक निर्माण के लिए ढ़ाई साल पूर्व ही फण्ड रहते हुए भी टेण्डर प्रक्रिया आज तक आरंभ नहीं करवा सका जिला प्रशासन।
जयसिंह अग्रवाल ने पत्र में आगे लिखा है कि बालको परसाभठा स्थित 15 से 30 साल पहले से दुकानदारी करते हुए 39 दुकानदार अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। उन छोटे दुकानदारों को बेदखल करने जिला प्रशासन के निर्देश पर कोरबा निगम द्वारा नोटिस जारी किया गया है। वर्तमान में उनके समक्ष रोजी की समस्या उत्पन्न हो गई है अतएव दुकानदारों को यथावत रहने दिए जाने की बात पत्र में कही गई है।
इसी प्रकार कोरबा गीतांजली काॅम्प्लेक्स के दुकानदारों को नोटिस जारी कर बरामदा क्षेत्र का उपयोग बन्द करने की हिदायत दी गई है, ऐसा नहीं किए जाने पर दुकानों की लीज निरस्त करने की धमकी दी गई है। शहर में बढ़ते यातायात के दबाव को व्यवस्थित करने के लिए नया परिवहन नगर का तत्काल निर्माण कराया जाना सर्वाधिक उपयुक्त समाधान है।
पत्र में जयसिंह अग्रवाल ने उपर्युक्त बातों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री से उम्मीद जताई है कि बरसात के मौसम में किसी के मकान न तोड़े जाएं, किसी भी दुकानदार को बेदखल न किया जाए व किसी भी दुकानदार को परेशान न किया जाए और भू-विस्थापितों की मांगो पर सकारात्मक पहले करते हुए उचित समाधान निकालने के साथ ही कोरबा में नया परिवहन नगर का निर्माण व बरमपुर से दर्री बराॅज तक की सड़क निर्माण कार्य को प्राथमिकता प्रदान करने के साथ ही जनहित के मुद्दों को प्राथमिकता देने के लिए जिला प्रशासन को निर्देशित किया जाएगा। उपर्युक्त तरीके की कार्यशैली अपनाकर जिला प्रशासन कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित कर रहा है,