कोरबा के ग्रामीण इलाकों में इंसान और हाथियों के बीच लगातार टकराव की स्थिति,खेतों में हांथीयों का उत्पात
नमस्ते कोरबा : कोरबा के ग्रामीण इलाकों में इंसान और हाथियों के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। ताजा मामला है कटघोरा वन मंडल के ग्राम चोटिया, बनिया क्षेत्र का, जहां 35 हाथियों के एक झुंड ने गांव-गांव में तबाही मचा रखा है। खेतों में शुरुवाती फसलें चौपट कर रहे हैं ग्रामीण खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं,
खेतो मे दिख रहे पैरो के निशान इस बात की गवाही हैं कि हाथियों ने किस तरह यहां पर कहर बरपाया है, इस कहर से ग्राम चोटिया, बनिया के कुछ किसान इन दिनों खेती करना ही छोड़ दिए हैं। दो दिन पहले खेतों में घुसे हाथियों ने सिर्फ धान की फसलों को ही नहीं रौंदा है बल्कि कई किसानों की मेहनत को भी पल भर में मिट्टी में मिला दिया।
डर का आलम ये है कि ग्रामीण रात में सो नहीं पाते। खेत में जाना तो दूर, गांव से बाहर निकलना भी जोखिम भरा हो चुका है। वही वन विभाग को सुचना के बावजूद स्थल निरिक्षण करने मे समय लगाते है, दरअसल हाथियों द्वारा हर साल करीब 200 एकड़ की फसल को नुकसान किया जाता है।
वहीं सरकार हाथी से हुए नुकसान के लिए हर साल एवरेज करीब 20 लाख रुपए मुआवजा देती है। मगर इस आपदा पर स्थाई रूप अंकुश लगाने के लिए सरकार के पास कोई उपाय नहीं है। कुछ किसानो को मुवावजा भी सही समय पर नहीं मिल पाता जिससे किसान नुकसान कि भरपाई नहीं कर पाते।
वन विभाग की टीम हाथियों की निगरानी कर तो रही है, लेकिन झुंड को गांवों से खदेड़ने में अब तक कोई सफलता नहीं मिल पाई है। विभाग सिर्फ नुकसान का आंकलन कर रहा है, लेकिन जमीन पर राहत नजर नहीं आ रहा है। ये कोई पहली घटना नहीं है लेकिन सवाल यही है आखिर कब तक? कब तक किसान अपनी फसलों को यूं ही उजड़ते देखता रहेगा? और कब तक ग्रामीण अपने ही गांव में डर के साये में जीने को मजबूर रहे?