ऑनलाइन क्रिकेट गेमिंग,ऐसा खेल जो 39 व 59 रुपए में युवाओं को रातों रात करोड़पति बनने का सपना दिखा रहा.युवाओं को इस खेल की लत लगी
नमस्ते कोरबा : वर्तमान आधुनिकता के दौर पर हर कोई करोड़पति बनना चाहता है.युवा वर्ग खासकर कम समय में करोड़पति बनने के ख्वाब देख रहा है. जिसका फायदा कई कंपनियां उठा रही है. ऑनलाइन के इस जमाने में युवाओं को तरह-तरह के प्रलोभन देकर करोड़पति बनने के ख्वाब दिखाए जाते हैं
क्रिकेट का खेल भारत में धर्म की तरह है क्रिकेट को लेकर अपना ही एक अलग जुनून पूरे देश में फैला हुआ है. वर्तमान समय में देश में आईपीएल का टूर्नामेंट चल रहा है. जिसका फायदा कई क्रिकेट गेमिंग कंपनियां उठा रही है यह एक बहुत ही खतरनाक बीमारी के तौर पर उभर रही है।
इस खेल पर समय रहते रोक लगानी होगी या फिर कोई और स्थाई समाधान ढूंढना होगा। अन्यथा वित्तीय जोखिम के साथ साथ मानसिक बीमारी के जन्म का कारण बनने लगा है। ऑनलाइन क्रिकेट गेमिंग एक ऐसा खेल है जो 39 व 59 रुपए में युवाओं को रातों रात करोड़पति बनने का सपना दिखा रहा है। कभी जीतने पर 1 करोड़ तो कभी दो करोड़ और आजकल 4 करोड़ की राशि जीतने पर दी जा रही है।
इस चक्कर में लाखों युवाओं को इस खेल की लत लगी हुई है और अपनी वर्षों की मेहनत की कमाई को यूं ही बर्बाद करने में लगे हुए हैं। सरकारी क्षेत्र में तैनात कर्मचारी भी इसका शिकार बनते जा रहे है। आखिर बने भी क्यों न दिन में कोई चैनल खोलें तो इन क्रिकेट गेमिंग एप्स का विज्ञापन पल पल आपके आंखों के सामने चलता रहेगा। बड़े-बड़े सितारे इस खेल का प्रचार करते देखे जाते हैं और विज्ञापन के अंत में यह जरूर बोलते है कि इसमें वित्तीय जोखिम है और इसकी लत लग सकती है।
जब आस पड़ोस में कोई आदमी करोड़पति बनता है तो दिमाग का कौड़ा और जाग जाता है कि जब यह जीत सकता है तो मै क्यों युवाओं को इस खेल की लत लगी, वित्तीय जोखिम बना मानसिक बीमारी का कारण देखा देखी में एक नहीं कई टीमें लगाकर करोड़पति बनने की फिराक में रहते.
इस बर्बादी में युवा पीढ़ी ही नहीं कई बुद्धिजीवी भी प्रतिदिन हजारों रुपए इस खेल में लगा रहे इस खेल में प्रतिदिन पैसे की बर्बादी देख मानसिक तनाव से पीड़ित हो रहें है। वहीं छोटी-छोटी बातों पर परिजनों से नोक झोक भी हो जाती। युवाओं में तनाव व चिड़चिड़ापन देखा जा रहा है, ये खेल नशे की भाति युवाओं के मानसिक संतुलन को खोखला कर रहा है।समाज का एक घड़ा इस खेल को सही मानता है और एक धड़े ने इसे आधुनिक जुए की संज्ञा दी है। अब युवाओं और बुद्धिजीवियों को खुद तय करना है कि इस खेल में भाग लेना है या दूरी बनानी है।
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