Tuesday, October 14, 2025

अशोक वाटिका में प्रवेश शुल्क का नया नियम,जनता बोली,सांसों पर भी टैक्स?ऑक्सीज़ोन को बना दिया कैश जोन,स्वास्थ्य हमारा हक है,कारोबार नहीं

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अशोक वाटिका में प्रवेश शुल्क का नया नियम,जनता बोली,सांसों पर भी टैक्स?ऑक्सीज़ोन को बना दिया कैश जोन,स्वास्थ्य हमारा हक है,कारोबार नहीं

नमस्ते कोरबा :- कोरबा जहाँ प्रदूषण का बोझ हर नागरिक की छाती पर बैठा है,वहां अशोक वाटिका एक उम्मीद बनकर सामने आया था। करोड़ों की लागत से विकसित यह “ऑक्सीज़ोन” शहरवासियों को निःशुल्क टहलने, योगा और खेलकूद का ठिकाना देता रहा। यह सिर्फ एक पार्क नहीं था, बल्कि कोरबा की सांसों का सहारा था।

लेकिन अब जिला प्रशासन ने मानो जनता की ताज़गी पर भी “दाम” लिख दिया है। 10 और 20 रुपए के टिकट ने इस ऑक्सीज़ोन को कैश जोन में बदल डाला है। सवाल सीधा है,क्या अब स्वच्छ हवा में टहलने और योग करने के लिए भी जेब ढीली करनी पड़ेगी? क्या आम आदमी की सेहत भी अब एक “प्रोडक्ट” बन चुकी है?

जनता का गुस्सा जायज़ है। क्योंकि यह पार्क उन्हीं के टैक्स के पैसों से बना, उन्हीं के लिए खोला गया था। अब उन्हीं से सांस लेने का हक़ खरीदवाना क्या न्यायसंगत है? यदि स्वास्थ्य और प्रदूषण-मुक्त माहौल को भी राजस्व का जरिया बना दिया जाएगा, तो फिर “जनकल्याण” का मतलब ही क्या रह जाएगा?

प्रशासन को यह समझना होगा कि अशोक वाटिका केवल पेड़ों का झुरमुट या दौड़ने का ट्रैक नहीं है, बल्कि यह प्रदूषण से जूझते कोरबा की जनता का जीवन,ऑक्सीजन है। इसे व्यावसायिक मॉडल में बदलना जनता के विश्वास पर चोट है।

यदि सच में इस शहर के लिए ऑक्सीज़ोन की अहमियत है, तो इसे हर वर्ग के लिए निःशुल्क रखा जाना चाहिए। सांसों पर टैक्स लगाकर जनता को तकलीफ़ देना किसी भी जिम्मेदार प्रशासन की नीति नहीं हो सकती।

कोरबा शहर के विधायक एवं श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन ने अशोक वाटिका में लगाए गए प्रवेश शुल्क को लेकर कड़ा रुख अपनाया था। उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जिला प्रशासन एवं नगर निगम से स्पष्ट कहा था कि यह शुल्क वापस लिया जाए। देवांगन ने कोरबा की जनता को अपना परिवार बताते हुए कहा था कि ऑक्सीज़ोन जैसी जगहों का उपयोग हर नागरिक को निःशुल्क करने दिया जाना चाहिए।

उनके बयान के बाद नगर निगम ने त्वरित संज्ञान लेते हुए सुबह मॉर्निंग वॉक करने वालों के लिए शुल्क में छूट का ऐलान किया। हालांकि, यह राहत केवल सुबह के समय के लिए सीमित कर दी गई है।

यहीं सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है,क्या अशोक वाटिका की उपयोगिता सिर्फ मॉर्निंग वॉक करने वालों तक ही सीमित है? शाम को सैर करने वाले, बच्चों के साथ टहलने आने वाले या योगा व खेलकूद करने वालों को छूट क्यों नहीं? क्या नगर निगम ने श्रम मंत्री की बातों को आंशिक रूप से ही माना, या फिर इसके पीछे कोई और कारण है?

जनता का मानना है कि यदि अशोक वाटिका सच में “ऑक्सीज़ोन” है, तो इसे हर समय, हर नागरिक के लिए निःशुल्क होना चाहिए। आंशिक छूट केवल असंतोष बढ़ाने का काम कर रही है।

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