मितानिन दिवस : सेवा, संवेदना और समर्पण की अद्भुत मिसाल
नमस्ते कोरबा : आज मितानिन दिवस के इस विशेष अवसर पर हम उन सभी मितानिन बहनों को हृदय से नमन करते हैं, जो अपने समर्पण, परिश्रम और अदम्य सेवा-भाव के माध्यम से छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था की मूल आत्मा बनी हुई हैं। गाँवों की पगडंडियों से लेकर शहरों की बस्तियों तक जहाँ भी किसी परिवार को सहारे, सलाह या सुरक्षा की आवश्यकता होती है एक मितानिन बिना थके, बिना रुके वहाँ पहुँचती है।
मितानिन केवल स्वास्थ्य कर्मी नहीं, बल्कि समाज की मौन शक्ति हैं। वे हर घर के दरवाज़े तक स्वास्थ्य जागरूकता, देखभाल और मानवीय करुणा का संदेश लेकर जाती हैं। मातृ-शिशु स्वास्थ्य हो, कुपोषण से लड़ाई हो, टीकाकरण हो, स्वच्छता अभियान हो या किसी आपदा की घड़ी मितानिन बहनें हमेशा सबसे आगे खड़ी मिलती हैं। उनकी यही प्रतिबद्धता उन्हें समाज का सच्चा अभिभावक बनाती है।
आज जब पूरा देश और प्रदेश स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर सजग है, तब यह समझना जरूरी है कि स्वास्थ्य सेवाओं की सफलता केवल सरकारी योजनाओं से नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर कर्मठ सिपाहियों की निष्ठा से तय होती है। मितानिनें वही सिपाही हैं जो किसी पुरस्कार की आशा नहीं रखतीं, कोई पहचान नहीं मांगतीं; बस अपने कर्तव्य को ही अपना सम्मान मानकर निरंतर आगे बढ़ती रहती हैं।
उनके कदमों में थकान नहीं, उनके दिल में करुणा की खाद है और उनके कार्यों में समाज विकास की गहरी छाप है। यही कारण है कि आज मितानिनें छत्तीसगढ़ ही नहीं, देशभर में सामुदायिक स्वास्थ्य मॉडल की मिसाल बन चुकी हैं।
आज हम सभी का दायित्व है कि हम इन बहनों के योगदान को सम्मान दें, उनकी आवाज़ को और मजबूत करें तथा उनके लिए सशक्त वातावरण का निर्माण करें, जहाँ वे सुरक्षित, समर्थ और गर्व के साथ अपना काम कर सकें।
इस मितानिन दिवस पर हम सभी मितानिन बहनों को दिल से धन्यवाद देते हैं,आपकी सेवा, संवेदनशीलता और समर्पण ही हमारे समाज की असली शक्ति है।कामना है कि आपका यह अथक प्रयास इसी तरह हमारे क्षेत्र, हमारे समाज और हमारे राज्य का गौरव बढ़ाता रहे।
मितानिन दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!







