लापरवाह मीडिया प्रभारी कहीं डुबो ना दे पार्टी प्रत्याशी की लुटिया,
NAMASTE KORBA: विभिन्न पार्टियों द्वारा अपनी पार्टी के प्रचार प्रसार के लिए मीडिया प्रभारी की नियुक्ति की जाती है जिससे कि वह पार्टी के विचारों को एवं चुनाव के समय प्रत्याशियों के बातों को लोगों तक मीडिया के माध्यम से पहुंच सके संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के द्वारा अपनी जीत का परचम लहराने जी जान लगा दिया गया। वे चुनाव संपन्न होने तक मतदाताओं को अपने पक्ष वोट करने मनाने जुटे रहे, लेकिन उनके बीच कुछ ऐसे भी शख्स थे, जिनकी जवाबदारी प्रत्याशी की बातो को जन जन तक पहुंचाना था। इस कर्तव्य का निर्वहन तो हर प्रत्याशी के मीडिया प्रभारी ने बखूबी निभाया, लेकिन एक बड़े पार्टी के प्रभारी पर अपना काम बनता, भाड़ में जाए जनता वाली कहावत बैठता है।
महाशय से फ़ोन पर बात करना यानि सीएम पीएम से बात करने के बराबर है। कभी कभार मोबाइल रिसीव हो भी गया तो बात करने की फुर्सत नही होती।ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जीत का सेहरा बंधा तो महोदय सातवे आसमान से भी बात नही करेंगे।
यह वाक्या हाल ही में हुए चुनाव में देखने और सुनने को मिला है। महोदय बीते कुछ सालों से एक राजनैतिक दल में मीडिया प्रभारी का दायित्व निभा रहे है। शायद यह पद उन्हें पूर्व में मार्केटिग शाखा से जुड़े होने के कारण मिली है, ताकि वे समय और समय की नजाकत को समझ मीडिया मैनेजमेंट का काम कर सके। बेशक उन्होंने अपने कर्तव्य का निर्वहन भी बखूबी किया, लेकिन अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता के तर्ज पर।
महोदय शायद यह भूल गए कि जिस जनता के भरोसे वे अपना काम बनता की शैली अपनाए हुए है। जनता चाहे तो वह उलट भी हो सकता है। इसमें प्रत्याशी का कोई दोष नही है, लेकिन असर तो उन पर भी पड़ सकता है।
अभी तो विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं जिसमें मीडिया प्रभारी की लापरवाही निसंदेह पार्टी प्रत्याशी को भारी पड़ने वाली है, जिस पर पार्टी को भी गंभीरता से सोचना होगा क्योंकि कुछ दिनों बाद लोकसभा के चुनाव होने हैं उसके पश्चात नगर निगम के भी चुनाव संपन्न होने हैं,