महाशिवरात्रि विशेष : कोरबा हसदेव नदी के किनारे मौजूद है ऐतिहासिक पांच मुख वाला शिवलिंग,
नमस्ते कोरबा :- कोरबा जिले में भगवान शिव का पांच मुख वाला शिवलिंग विराजमान है. जो लोगों की आस्था का केंद्र है. यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु जलाभिषेक करने के लिए आते हैं. वहीं जिले के ग्राम कनकी में स्वयं-भू शिवलिंग की प्राचीन महत्ता है तो वहीं पाली में ऐतिहासिक 14वीं शताब्दी का शिव मंदिर शोभायमान है.
प्राचीनतम दृष्टि से महत्वपूर्ण पुरानी बस्ती में रानी रोड
प्राचीनतम दृष्टि से महत्वपूर्ण पुरानी बस्ती में रानी रोड स्थित कमला नेहरू महाविद्यालय है जो कि पूर्व में रानी धनराज कुंवर देवी का महल हुआ करता था. ठीक महल के पीछे हसदेव नदी के तट पर यह पंचमुखी शिवलिंग वाला मंदिर स्थापित है. पुरातत्व विभाग के मार्गदर्शक हरिसिंह क्षत्रिय ने बताया की पुरातन दृष्टि से यह मंदिर काफी पुराना है जो लगभग 200 वर्ष पुराना लगता है.
पंचमुखी शिवलिंग की स्थापना 1900 से पहले
अभी और ज्यादा शोध करने का विषय है. फिलहाल उक्त पंचमुखी शिवलिंग की स्थापना 1900 से पहले की अनुमानित है. यहां राजपरिवार हुआ करता था और इस तरह के शिवलिंग की स्थापना मनोकामना की पूर्ति उपरांत ही की जाती है. राजपरिवार की मनोकामना पूर्ति उपरांत इसे स्थापित कराया गया होगा.
अलग-अलग की जाती है उपासना
हरिसिंह क्षत्रिय ने पुरातत्व दृष्टिकोण से इस शिवलिंग की विशेषता को बताया है. चट्टान काटकर जो शिवलिंग बनाया गया है वो स्मार्त शिवलिंग धार्मिक दृष्टिकोण से पंचदेवोपासना , पंचोंपासना, पंचायतन पूजा अथवा स्मार्तपूजा का जन्म हुआ. इन 5 पिण्डों की व्याख्या, कुछ विद्वानों ने पंचमुखी शिवलिंग एवं मार्तंड लिंग के रूप में की है.
पंचमुखी शिवलिंग शिवजी के सद्योजात, वामदेव, अघोर, तत्पुरुष तथा ईशान रूपों का समेकित से प्रदर्शन है. विष्णुधर्मोत्तर पुराण में इन सभी की मूर्तियों की प्रतीकात्मकता का विवेचना मिलता है. सद्योजात – पृथ्वी, वामदेव- जल,अघोर- अग्नि, तत्पुरुष- वायु तथा ईशान- आकाश, इन्हीं पंचतत्वों को शिवजी के पाँच मुखों के माध्यम से अंकित किया जाता है,