Friday, February 14, 2025

कोरबा की बेटी बनी कौमी एकता का मिसाल,अपने रब की इबादत में जहां अकीदत से रोजा रखा,रमजान के पाक महीने में डोंगरगढ़ की यात्रा पर भी गई

Must Read

कोरबा की बेटी बनी कौमी एकता का मिसाल,अपने रब की इबादत में जहां अकीदत से रोजा रखा,रमजान के पाक महीने में डोंगरगढ़ की यात्रा पर भी गई

नमस्ते कोरबा  :- कमला नेहरू कॉलेज की होनहार छात्रा रही रुबीना तरन्नुम कौमी एकता की मिसाल पेश कर रहीं। रमजान के पाक महीने में कठिन उपवास के साथ डोंगरगढ़ की सीढ़ियां चढ़ी और किए दर्शन। रुबीना ने कहा कि इस पूरे महीने अल्लाह की इबादत करते हैं। फितरा, जकात (दान) करते हैं, जो हर एक मुस्लिम का फर्ज है। हिंदू धर्म में भी दान-पुण्य का बड़ा महत्व है। मान्यताएं जो भी हों, पर सभी के लिए इंसान, इंसानियत और ईमान सबसे अहम है।

हम कोरबा को यूं ही मिनीभारत नहीं कहते, यहां की आब-ओ-हवा में ही कुछ ऐसी बात है, जो दिलों में प्यार का जज्बा व सीने में एकता और भाई-चारे का गुरूर भरती है। शहर की ऊर्जावान युवा रुबीना तरन्नुम एक ऐसी ही शख्सियत हैं, जो कौमी एकता की मिसाल पेश कर रहीं। उन्होंने अपने रब की इबादत में जहां अकीदत से रोजा रखा, रमजान के पाक महीने में डोंगरगढ़ की यात्रा पर भी गई। कठिन उपवास के नियमों का पालन करते हुए उन्होंने कड़ी धूप में कदम-दर-कदम सीढ़ियां चढ़ी। मां बम्लेश्वरी के दर्शन किए और उनके दर पर अमन-चैन की दुआ भी मांगी।

शुक्रवार की शुभ घड़ी में देर शाम चांद के दीदार के बाद माह-ए-रमजान का पाक महीना पूरा हुआ। इसके साथ ही शनिवार को जश्न-ए-ईद की खुमारी रात से शुरू हो गई। ऐसे मौके पर हमारे शहर की नौजवान छात्रा रुबीना तरन्नुम का जिक्र करना लाजमी हो जाता है, जिन्होंने भी एक माह का रोजा रख खुदा को खुश करने और उनकी रहमत पाने के लिए कठिन उपवास धारण किया। अपने परिवार के साथ तरन्नुम ने भी पूरे माह रोजा तो रखा ही, 16वें रोजे के दिन उन्होंने डोेंगरगढ़ की यात्रा भी की। तरन्नुम ने बताया कि सारी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां के लोगों को अपनी इच्छा के अनुरूप आस्था रखने और उसे मानने का अधिकार देता है। यही हमारे देशवासियों को एक अलग पहचान देता है, जो हमें एकता और भाई-चारे के सूत्र से जोड़ता है। हमें एक बनाता है और मेरा भी यही मानना है कि भले ही भाषा-संस्कृति भिन्न हो, पर हर धर्म-समुदाय और ग्रंथ हमें सबसे पहले मानवता की सीख देते हैं। बस यही मैं भी मानती हंू। मेरे माता-पिता ने मुझे भेद-भाव नहीं, बल्कि कौमी एकता और भाई-चारे का संस्कार दिए। सम्मान, समभाव की राह दिखाई, जिस पर मैं चल रही हूं।

इंसान, ईमान और इंसानियत सबसे अहम
तीन बहनों में सबसे छोटी व लाडली बहन रुबीना ने बताया कि रमजान के महीने में रोजे रखना, रात में तरावीह की नमाज पढ़ना और कुरान तिलावत करना शामिल है। रोजा रखने के दौरान सूरज निकलने से लेकर डूबने तक कुछ नहीं खाते पीते हैं। साथ में महीने भर इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। रमजान के दौरान रोजा इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। इस पूरे महीने अल्लाह की इबादत करते हैं। फितरा, जकात (दान) करते हैं, जो हर एक मुस्लिम का फर्ज है। हिंदू धर्म में भी दान-पुण्य का बड़ा महत्व है। स्पष्ट है कि मान्यताएं जो भी हों, पर सभी के लिए इंसान, इंसानियत और ईमान सबसे अहम है।

कमला नेहरू महाविद्यालय से बी-लिब की डिग्री ली, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटी
रुबीना ने कमला नेहरू महाविद्यालय KORBA से पुस्तकालय व सूचना विज्ञान (बी-लिब एंड आईएससी) की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा वर्तमान में वह प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी कर रही है। उन्होंने बताया कि पुस्तक आपके सबसे अच्छे और भरोसेमंद साथी होते हैं, पढ़ने से ज्ञान मिलता है, जो हमें अपने लक्ष्य की बढ़ने और आत्मविश्वास से अपनी राह पर चलने की शक्ति देता है। इसलिए उन्हें किताबें पढ़ना पसंद है। इसके अलावा उन्हें नई जगह घूमने में भी रूचि है और खास बात यह कि उनकी हर रुचि को पूरा करने माता-पिता, बहनें व पूरा परिवार हमेशा साथ होता है। उन्हीं की प्रेरणा व प्रोत्साहन से वह अपने लक्ष्य को पाने कड़ी मेहनत कर रही हैं। माता-पिता व बहनों ने कहा कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है।

source – http://thevalleygraph.com

- Advertisement -

सब्सक्राइब करें नमस्ते कोरबा न्यूज़ YOUTUBE चैनल

4,000SubscribersSubscribe
Latest News

नगर निगम चुनाव : मतगणना के दौरान सुगम यातायात सुनिश्चित करने के लिए यातायात पुलिस ने विशेष पार्किंग एवं डायवर्जन प्लान जारी किया

नगर निगम चुनाव : मतगणना के दौरान सुगम यातायात सुनिश्चित करने के लिए यातायात पुलिस ने विशेष पार्किंग एवं...

More Articles Like This

- Advertisement -