कोरबा बना खोदापुर,निगम अधिकारियों द्वारा बनाया गया विभिन्न सड़कों का प्राकलन गलत, या शहर के सड़कों का कार्य करने वाले सभी 4 से 5 ठेकेदार गलत
नमस्ते कोरबा : कोरबा शहर में बालको से निहारिका, निहारिका से दादर, पोडीबहार, निहारिका से पावर हाउस रोड़, पावर हाउस से सीतामणी तक 4-5 ठेकेदारों ने किया है सड़क डामरीकरण का कार्य, सभी रोड़ हुई ध्वस्त।
सभी रोड़ का एक साथ उखड़ना कहीं ना कहीं निगम के उच्च अधिकारियों के बनाए हुए इस्टीमेट/प्राकलन के उप्पर सवालिया निशान छोड़ रहा है। सिर्फ किसी एक ठेकेदार द्वारा बनाई गई रोड़ उखड़ती तो उक्त ठेकेदार की गलती साबित हो सकती थी, पर यहां पूरा कोरबा ही खोदापुर बन चुका है।
ऐसे में ये सवाल उठता है की क्या निगम के उच्च अधिकारियों द्वारा बनाया गया प्राकलन कोरबा की मुख्य सड़कों के मुताबिक था या नहीं था। सड़क डामरीकरण के कार्यों में निगम के अभियंता डामर प्लांट से सड़क निर्माण होने वाली साइट तक अपनी देख रेख में इस कार्य को करवाते हैं, डामर प्लांट से आने वाली गाड़ियों का टेंपरेचर चेक करने से पैवर मशीन से बिछने वाले डामर तक का नापी अभियंताओं द्वारा लिया जाता है।
सड़क निर्माण कार्यों के दौरान दिन में 3 से 4 बार निरक्षण करते हुए अधीक्षण अभियंता के निगरानी में सभी कार्य करवाए जाते हैं। कार्यों की गुणवक्ता का मूल्यांकन भी इन्ही अभियंताओं द्वारा किया जाता है। शहर के लोगो की जान से खिलवाड़ करते हुए इस तरह का निम्न प्राकलन बनाना निगम आयुक्त और अधिकारियों पर सवालिया निशान खड़ा करता है। क्या लोगो की जान से खेलते हुए कम पैसे में मुख्य सड़कों का कार्य करवाना चाह रहे थे निगम के अधिकारी, जहां रोजाना हजारों गाड़ियां चलती है।
निगम द्वारा कई कार्य 1-2 वर्ष के अंतराल में ही करवाए गए हैं जो की अभी से उखड़ने लगे हैं, जिसमे पुराना कोर्ट पीडब्ल्यूडी ऑफिस जाने वाली रोड़, घंटाघर से एसईसीएल, हेलीपैड, कालीबाड़ी रोड़, जब सभी रोड़ उखड़ रही है तो ऐसे में निगम आयुक्त का अधिकारियों को बचाना और ठेकेदारों पर अवैधानिक कार्यवाही करना गंभीर विषय है।
हाल ही में निगम अधिकारियों द्वारा खुद के बचाव में एक फर्म का राशि राजसात किया गया है। परंतु संबंधित ठेकेदार का कहना है की उनके सड़क निर्माण कार्य की राशि को अवैधानिक रूप से 3 वर्ष और 3 महीना बाद राजसात कर लिया गया जबकि नियमानुसार उनके द्वारा सड़क रखरखाव करने की अवधि पहले ही समाप्त हो चुकी थी। उक्त मामले को लेकर ठेकेदार ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसपर निगम आयुक्त को मुख्य न्यायधीश द्वारा नोटिस जारी कर जवाब देने कहा गया है।
बहरहाल अब देखना ये है की निगम अधिकारियों द्वारा बनाया गया ये प्राकलन गलत है या शहर के विभिन्न सड़कों का कार्य करने वाले सभी 4 से 5 ठेकेदार गलत हैं।पहले भी नगर निगम की कार्यशैली चर्चा में है। भ्रष्टाचार का बोलबाला इतना की अधिकारियों द्वारा गुणवत्ताहीन काम कराया जाता है। ताकि वह अपनी जेब भर सके जनता की गाढ़ी कमाई का बंदर बांट किया जाता है।