*कल है सावन का पहला सोमवार,पड़ोसी जिले में है एक ऐसा शिवलिंग जहां प्रकृति स्वयं करती है भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक*
नमस्ते कोरबा : छत्तीसगढ़ के अति पावन धरा तुर्रीधाम शिवभक्तों के लिए अत्यंत ही पूजनीय है। सावन मास में हजारों की संख्या में शिव भक्त अपनी मनोकामना लेकर तुर्रीधाम पहुंचते है।
स्थानीय दृष्टिकोण से यहाँ उपस्थित शिवलिंग, प्रमुख ज्योतिर्लिंगों के समान ही वंदनीय है,प्रसिद्घ तुर्रीधाम मंदिर जहां शिवलिंग पर प्राकृतिक रूप से जलाभिषेक निरंतर होते रहता है. कहा से आ रहा है पानी ये रहस्य, भू वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए पता।
सक्ती के पावन धरा तुर्रीधाम शिवभक्तों के लिए अत्यंत ही पूजनीय है
छत्तीसगढ़ के जांजगीर -चांपा जिले से अलग होकर नवींतम जिले सक्ती के पावन धरा तुर्रीधाम शिवभक्तों के लिए अत्यंत ही पूजनीय है. यहां श्रद्धालु बारहों मास आते हैं, लेकिन सावन महीने में अधिक संख्या में शिव भक्त अपनी मनोकामना लेकर तुर्रीधाम पहुंचते है. स्थानीय दृष्टिकोण से यहाँ उपस्थित शिवलिंग, प्रमुख ज्योतिर्लिंगों के समान ही वंदनीय है.
मंदिर के निर्माण संबंधित जानकारी देते हुए पुजारी ने बताया की इसका निर्माण स्थानीय राजा-रानी द्वारा कराया गया था. यह किस राजा के शासन में निर्मित हुआ यह अज्ञात है. इसका जीर्णोद्धार 3-4 पीढ़ियों से किया जा रहा है.
इस मंदिर का स्थापत्य अनोखा है
इस मंदिर का स्थापत्य अनोखा है. यह शिवलिंग पूर्वाभिमुख है. इसके चारों ओर मंडप बनाया गया है.गर्भगृह मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से 8 फिट की गहराई पर है. गर्भगृह पहुँचने हेतु नीचे की ओर होती हुई सीढ़ियाँ बनी हुई है. इस तुर्रीधाम की प्रमुख विशेषता यह है कि इसके गर्भगृह में एक प्राकृतिक जलस्त्रोत जो निरंतर शिवलिंग पर गिरते रहता है. जिसे स्थानीय भाषा में तुर्री (निरंतर)कहते है.
विद्यमान है. यह जल स्त्रोत अनादि काल से अनवरत बहता हुआ आ रहा है. इसी जलस्रोत के नीचे ही प्राचीन शिवलिंग स्थापित है. जिस पर सदैव ही प्राकृतिक रूप से शिवलिंग पर जल अभिषेक होता रहता है.
कोरबा से अगर आप इस पवित्र शिवलिंग के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो लगभग 50 से 55 किलोमीटर का सफर तय करना होगा,