राजनीति में 90 प्रतिशत ‘राज’ और केवल 10 प्रतिशत ‘नीति’ बची : कथावाचक पं. विजय शंकर मेहता
नमस्ते कोरबा :- विश्व विख्यात कथावाचक एवं जीवन प्रबंधन गुरु पं. विजय शंकर मेहता ने कहा कि जब-जब दुनिया में अशांति बढ़ी है, तब-तब लोगों का रुझान आध्यात्म और धार्मिक कथाओं की ओर बढ़ा है। भौतिक युग के विस्तार के साथ लोगों में बेचैनी और अशांति भी बढ़ी है। इसी कारण संयुक्त परिवार टूट रहे हैं और लोग एकल परिवार की ओर बढ़ रहे हैं। यह भारतीय संस्कृति के विपरीत है।
वे सोमवार को मातनहेलिया परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में प्रवचन देने कोरबा प्रवास पर पहुंचे। जश्न रिसोर्ट में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने पत्रकारों से चर्चा की। इस अवसर पर मातनहेलिया परिवार के सदस्य राजकुमार अग्रवाल, भगवानदास अग्रवाल सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे।
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए पं. मेहता ने कहा कि हमारी जीवन शैली पर चार चीजों का प्रभाव पड़ता है। इनमें 25 प्रतिशत माता का, 25 प्रतिशत पिता का, 25 प्रतिशत प्रारब्ध का और 25 प्रतिशत हमारी कर्मशीलता का होता है।
राजनीति पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि यदि राजनीति में 50 प्रतिशत राज और 50 प्रतिशत नीति हो तो संतुलन बना रहता है। लेकिन आज राजनीति में 90 प्रतिशत राज और केवल 10 प्रतिशत नीति बची है। सत्ता पाने के लिए लोग धर्म का उपयोग कर रहे हैं और यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
बढ़ते अपराध पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि जिनका विचार केवल देह तक सीमित होता है, वे पाश्विक प्रवृत्ति के होते हैं। ऐसे लोग ही रिश्तों का खून करते हैं। यह सब बदलती जीवनशैली का परिणाम है। समाज में अपराध कम करने के लिए नई पीढ़ी के लालन-पालन और शिक्षा प्रणाली में बदलाव की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग माता-पिता के आज्ञाकारी रहे हैं, जबकि आज की शिक्षा प्रणाली ने नई पीढ़ी को स्वच्छंद बना दिया है। अब वे माता-पिता के नियंत्रण में नहीं रहते। इसीलिए आज नई पीढ़ी को आध्यात्म से जोड़ना आवश्यक है, ताकि वे संस्कारवान और आदर्श नागरिक बन सकें।
पं. मेहता ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने 20 वर्ष तक पत्रकारिता की है और रायपुर भास्कर संस्करण के संपादक रहे हैं। उस समय भी वे संतुष्ट थे और आज हनुमान जी के भक्त और कथावाचक के रूप में भी आनंदित हैं।