बालको G-9 प्रोजेक्ट पर गंभीर आरोप, पूर्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कड़ी कार्यवाही की मांग की
नमस्ते l कोरबा। बालको के बहुचर्चित G-9 प्रोजेक्ट को लेकर बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। प्रदेश के पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को विस्तृत पत्र भेजकर परियोजना में राजस्व नियमों, पर्यावरणीय प्रावधानों और प्रशासनिक आदेशों के खुले उल्लंघन का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने पूरे प्रकरण को “संगठित तरीके से किए गए अवैध कार्यों की श्रृंखला” बताते हुए उच्चस्तरीय जांच और तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।

जंगल-मद भूमि पर निर्माण का आरोप
अग्रवाल ने अपने पत्र में खसरा नंबर 191/1 को जंगल-मद श्रेणी की भूमि बताते हुए कहा कि बालको प्रबंधन ने इसे सामान्य भूमि बताकर दस्तावेज पेश किए और बिना अनिवार्य स्वीकृतियों के निर्माण शुरू कर दिया। उन्होंने इसे राजस्व नियमों का स्पष्ट उल्लंघन बताया।
पेड़ों की संख्या में बड़ा अंतर
परियोजना स्थल के सर्वे में 440 से अधिक पेड़ पाए जाने की बात सामने आई है, जबकि बालको द्वारा केवल 172 पेड़ों का ही अंकन कराया गया। अग्रवाल ने कहा कि वास्तविक संख्या छिपाकर गलत रिपोर्ट तैयार कराई गई, जो पर्यावरणीय नियमों के विपरीत है।
अनुमति निरस्त होने के बाद भी निर्माण जारी
3 जून 2025 को एसडीएम द्वारा भूमि उपयोग की अनुमति निरस्त किए जाने के बावजूद निर्माण कार्य जारी रहने, नाले के अवरोधन, सार्वजनिक मार्ग पर अतिक्रमण और बाउंड्रीवॉल निर्माण को पूर्व मंत्री ने प्रशासनिक आदेशों की अवमानना बताया।
भूमिपूजन पर उठे सवाल
अग्रवाल ने कहा कि जमीन की स्थिति स्पष्ट न होने और अनुमति रद्द होने के बावजूद 17 नवंबर को भूमिपूजन कार्यक्रम आयोजित कर जनता को भ्रमित किया गया। मिनीमाता चौक से इंदिरा मार्केट जाने वाले मुख्य मार्ग के अवरोधन से व्यापारियों, विद्यार्थियों और आम राहगीरों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। उन्होंने दावा किया कि ड्रेनेज लाइन और सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण से जलभराव और संपत्ति नुकसान की स्थितियां भी सामने आई हैं।
मुख्यमंत्री से कड़ी कार्रवाई की मांग
पूर्व मंत्री ने मुख्यमंत्री से पूरे प्रोजेक्ट पर तत्काल रोक लगाने, भूमि एवं पर्यावरणीय स्वीकृतियों की उच्चस्तरीय जांच कराने, फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करने वालों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने और बंद किए गए मार्ग को तत्काल खोलने की मांग की है। उन्होंने कहा कि भूमि को मूल स्थिति में बहाल किया जाना आवश्यक है ताकि नागरिकों के अधिकार और पर्यावरणीय संतुलन सुरक्षित रह सके।
उन्होंने पत्र में लिखा कि “यह मामला सिर्फ अवैध निर्माण का नहीं, बल्कि कानून, पर्यावरण और आम नागरिकों के अधिकारों को प्रभावित करने वाला गंभीर विषय है।” अब यह देखने पर सबकी नजर है कि मुख्यमंत्री इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।
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