द्वापरयुग से त्रेता युग में जाऊंगा और कलयुग को बचाने का बीड़ा मैं उठाऊंगा की थीम पर युवक कर रहा है पर्यावरण को बचाने के लिए 10 हजार किलोमीटर की पदयात्रा
नमस्ते कोरबा :- पर्यावरण को बचाने और पेड़ लगाने के लिए लोगों को जागरूक करने एक युवक 10 हज़ार किलोमीटर की पैदल यात्रा पर अकेले ही निकल पड़ा है. युवक इस यात्रा को वंदे भारत यात्रा के नाम से शुरू कर द्वापरयुग से त्रेता युग में जाऊंगा और कलयुग को बचाने का बीड़ा मैं उठाऊंगा की थीम पर निरंतर आगे बढ़ रहा है. लगभग 2400 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर युवक कोरबा पहुंचा. तिरंगा झंडे के साथ पैदल मार्च करते देख राहगीरों में उत्सुकता हुई कि आखिर यह युवक है कौन. बातचीत करने पर युवक ने अपना नाम आशुतोष पांडेय बतया जो कि उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर का रहने वाला है. युवक की पदयात्रा के बारे में जानने के बाद लोगों ने इसकी सराहना.
10 हज़ार किलोमीटर की यात्रा, 2024 में होगी पूरी
देश में बढ़ती आबादी और सिमटते जंगलों के अलावा बढ़ते प्रदूषण के कई कारण है जिसका मूल कारण पृथ्वी पर इंसान ही है. लोगों में जागरूकता लाने प्रदूषण रोकने के उद्देश्य से शुरू यह पदयात्रा दिसंबर 2022 में अयोध्या से शुरू हुई है. युवक आशुतोष पैदल मार्च करते हुए देश के सभी राज्य का भ्रमण करेंगे. आशुतोष इस यात्रा को अयोध्या से शुरू कर 3 राज्यों का सफर पूरी कर छत्तीसगढ़ के कोरबा पहुंचे है. आगे छत्तीसगढ़ से उड़ीसा , कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलेंगाना,गोआ,महाराष्ट्र, गुजरात,मध्यप्रदेश राजस्थान,दिल्ली, हरियाणा, पंजाब,कश्मीर,लद्दाख,हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड होते हुए वापस उत्तरप्रदेश पहुचेंगे.10 हज़ार किलोमीटर की पैदल यात्रा करने के बाद 2024 में यह यात्रा पूरी होगी.
90 हज़ार की नौकरी छोड़ निकले समाज को जागरूक करने
आशुतोष दिल्ली में एक शैक्षणिक संस्था में बतौर बिजनेस एंड मार्केटिंग हेड की जॉब कर रहे थे जहां उनकी सैलरी 90 हजार प्रतिमाह थी. लेकिन देश में बढ़ती प्रदूषण की चिंता ने उनका ध्यान अपनी और खींच लिया और इस नौकरी को छोड़कर वे लोगों को जागरूक करने के लिए अकेले ही निकल पड़े. उन्होंने बताया कि वे जहां भी पहुंच रहे हैं महान लोगों का भरपूर आशीर्वाद और प्यार मिल रहा है लोगों से यही उम्मीद है कि लोग अपने पर्यावरण के प्रति सजग हो जाए. इस यात्रा के दौरान आशुतोष कई ज़िला के अधिकारियों, नेताओं और मंत्रियों से मिलते है. साथ में स्कूली छात्रों एवं पर्यावरणविदों से मिलकर उन्हें पौधे भेंट कर पर्यावरण बचाने का संदेश देते है.