कटघोर वनमंडल में हाथियों का आतंक: पचरा सहित कई गांवों में दहशत,खेत रौंदे फसलें तबाह, ग्रामीणों ने मांगी फेंसिंग और सुरक्षा
नमस्ते कोरबा : कटघोर वनमंडल के एतमानगर रेंज क्षेत्र में इन दिनों हाथियों का आतंक चरम पर है। ग्राम पचरा और उसके आसपास के गांवों के ग्रामीण भय के माहौल में जी रहे हैं। बताया जा रहा है कि करीब 50 हाथियों का विशाल झुंड पिछले दो दिनों से लगातार गांवों के आसपास घूम रहा है। दिनदहाड़े खेतों तक पहुंचकर इन हाथियों ने धान की तैयार फसलों को रौंद डाला और भारी नुकसान पहुंचाया है।
सुबह ग्रामीणों की नींद उस वक्त खुली जब हाथियों का झुंड गांव की बस्ती के एकदम करीब पहुंच गया। अफरातफरी के बीच ग्रामीणों ने ढोल, मशाल और आवाज़ों की मदद से उन्हें जंगल की ओर खदेड़ने की कोशिश की। इस दौरान वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि विभाग की मदद देर से और सीमित स्तर पर मिली।
लगातार फसलों के नुकसान और खतरे को देखते हुए ग्राम पचरा के ग्रामीणों ने सरपंच और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ आपात बैठक की। बैठक में ग्रामीणों ने प्रशासन और वन विभाग से तीन प्रमुख मांगें रखीं
1. गांव की सीमा पर फेंसिंग (तारबंदी) की जाए,
2. वन विभाग की टीमों की गश्त नियमित की जाए,
3. और हाथियों की गतिविधियों की सूचना त्वरित रूप से ग्रामीणों तक पहुंचे।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि लगातार हाथियों के आतंक के बावजूद न जिले के मंत्री और न ही सांसद ने अब तक कोई ठोस पहल की है। किसान अब कच्ची फसल काटने को मजबूर हैं ताकि कुछ हिस्सा बच सके। रात-रातभर रतजगा कर ग्रामीण अपने घरों और मवेशियों की सुरक्षा कर रहे हैं। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि शासन द्वारा नुकसान की भरपाई के लिए जो मुआवजा दिया जाता है, वह केवल औपचारिकता भर है और वास्तविक नुकसान की तुलना में बहुत कम है।
अब सवाल उठता है कि क्या प्रशासन इस संकट को गंभीरता से लेगा? क्या गांवों की फेंसिंग होगी और हाथियों की गतिविधियों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा? या फिर ग्रामीणों को इसी तरह हाथियों के डर और फसल बर्बादी के बीच जीना पड़ेगा?
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