देवपहरी कोरबा का सबसे खूबसूरत पिकनिक स्पॉट,प्रकृति की हरी भरी वादियों के बीच मनोरम दृश्य
NAMASTE KORBA :- सर्द मौसम और गुनगुनी धूप के बीच पर्यटन एवं पिकनिक स्थलों में लोगों की भीड़ बढ़ गई है. जिले के प्राकृतिक वादियों में सतरेंगा, बुका, केंदई, देवपहरी व बांगो जैसे पर्यटन स्थल हफ्ते के सातों दिन गुलजार रह रहे है. आज हम आपको कोरबा के विख्यात पर्यटनस्थल देवपहरी की सैर करवाएंगे, लेकिन यहां जाने पर कभी भी दुर्घटना की आशंका को देखते हुए सावधानी बरतना बहुत जरूरी है.
प्रकृति की हरी भरी वादियों के बीच पिकनिक स्थलों में नदी अथवा नालों के बीच उजला चमकता हुआ पथरीला चट्टान देखने वालों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है. पानी की धार से तराशे गए इन चट्टानों में सूरज निकलने से लेकर सूरज के डूबने तक चमक रहती है. खूबसूरत झरने और मनोरम दृश्य के लिए सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है.
दोपहर में पत्थर की बढ़ती है चमक
देवपहरी में जिले का सबसे पुराना पर्यटन केंद्र गोविंद झूझा जलप्रपात में पर्यटक अब पहुंचने लगे हैं. बारिश के समय यह बंद रहता है. देवपहरी गांव के किनारे चोरनई नदी पर स्थित गोविंद झूझा जलप्रपात अपने आप में मनमोहक है. प्राकृतिक दृष्टि से देखें तो चारों ओर पहाड़ और पठार से घिरा हुआ है. बीच के भाग में मैदानी क्षेत्र है. दोपहर में सूर्य की तेज से पत्थर की चमक बढ़ जाती है. गोविंद झूझा जलप्रपात हमें भेड़ाघाट की याद दिलाती है.
पत्थरों को चीरते हुए चोरनई नदी आगे बढ़ती है. यह आगे जाकर हसदेव नदी पर मिलती है. गोविंद झुंझा में एक साथ कई झरने देखने को मिलते हैं. वन विभाग ने यहां पर्यटकों के लिए पैगोडा का निर्माण भी कराया है, जहां बैठकर जलप्रपात के मनोरम दृश्य का आनंद उठा सकते हैं.
जानलेवा भी है यह पिकनिक स्पॉट
आपको बता दें कि व्यापारी पर्यटन स्थल जितना मनमोहक है, उतना ही जानलेवा भी है. घूमने या पिकनिक के लिए यहां पहुंचे कई लोगों ने अपनी जान गवा चुके है. यहां सबसे बड़ी दुर्घटना कारण बनता है, पत्थरों पर फिसलन. पत्थरों की फिसलने आपको पानी की गहराईयों में भी ले जा सकती है. मनोरम दृश्यों को देखते हुए भावनाओं के वशीभूत होकर कब खतरे के चक्र में फंस जाते. इसलिए यहां पत्थरों पर चलते वक्त विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है.
इस तरह पहुंचें देवपहरी स्पॉट
गोविंद जलप्रपात झूझा जलप्रपात पहुंचने के लिए कोरबा से दो रास्ते हैं.बालको से काफी पाइंट होते हुए जाने से दूरी 45 किलोमीटर पड़ती है. दूसरा रूमगरा से सतरेंगा होते हुए जाने पर 65 किलोमीटर दूरी पड़ती है,
Read more भगवान श्रीराम के कारण भारत की पहचान विश्व में : होसबोले जी